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महाभाष्य के टोकाकार
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इति श्रीमन्महादेवसूरिसुतशेषविष्णुविरचितायां महाभाष्यप्रकाशिकायां प्रथमाध्यायस्य प्रथमाह्निकम् । .
वंश-शेष विष्णु का संबन्ध वैयाकरणप्रसिद्ध शेष-कुल से है। इस के पिता का नाम महादेवसूरि, पितामह का नाम कृष्णसूरि, और प्रपितामह का नाम शेष नारायण था। देखो-शेष-वंश-वृक्ष पृष्ठ ५
- इस वंशपरम्परा से ज्ञात होता है कि शेष विष्णु का काल लगभग सं० १६००-१६५० वि० के मध्य रहा होगा। ... एक शेषकृष्ण के पुत्र शेषविष्णु ने परिभाषापाठ पर 'परिभाषाप्रकाश' नाम्नी व्याख्या लिखी है। इसका उल्लेख हम दूसरे भाग में १० परिभाषा के प्रवक्ता और व्याख्याता' नामक २६ वें अध्याय में करेंगे । इस शेष कृष्ण के पुत्र शेष विष्णु का सम्बन्ध हम पूर्व (पृष्ठ) विदिष्ट वंशावली में जोड़ने में असमर्थ रहे ।
१२. तिरुमल यज्वा (सं० १५५० वि० के लगभग) १५ तिरुमल यज्वा ने महाभाष्य की 'अनुपदा' नाम्नी व्याख्या लिखी
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परिचय वंश-तिरुमल के पिता का नाम मल्लय यज्वा था। तिरुमल यज्वा अपने 'दर्शपौर्णमासमन्त्र-भाष्य' के अन्त में लिखता है
'इति श्रीमद्राघवसोमयाजिकुलावतंसचतुर्दशविद्यावल्लभमल्लयसूनुना तिरुमलसर्वतोमुखयाजिना महाभाष्यस्यानुपदटीकाकृता रचितं दर्शपौर्णमासमन्त्रभाष्यं सम्पूर्णम् ।"
तिरुमल के पिता मल्लय यज्वा ने कैयट विरचित 'महाभाष्यप्रदीप' पर टिप्पणी लिखी है । उनका उल्लेख अगले अध्याय में किया २५ जायेगा । तिरुमल का काल अज्ञात है। हमारा विचार है कि यह
१. देखो- 'मद्रास राजकीय हस्तलेख पुस्तकालय' का सूचीपत्र भाग २, खण्ड १C, पृष्ठ २३६२, ग्रन्थाङ्क १६६४ ।