________________
४३६
महाभाष्य के टीकाकार गोपालाचार्य कृष्णाचार्य
रामचन्द्र
कृष्ण
नृसिंह
रामेश्वर (वीरेश्वर) विट्ठल जगन्नाथ भट्टोजिदीक्षित चक्रपाणिदत्त उक्त वंशचित्र विट्ठलकृत 'प्रक्रियाकौमुदी-प्रसाद' तथा अन्य ५ ग्रन्थों के आधार पर बनाया है । प्रक्रियाकौमुदी के सम्पादक ने विट्ठलाचार्य और अनन्त को रामेश्वर के नीचे और गोपालगुरु तथा रामचन्द्र को नागनाथ के नीचे निम्न प्रकार जोड़ा है
कृष्ण
रामेश्वर विठ्ठलाचार्य
नागनाथ गोपालगुरु
अनन्त
रामचन्द्र यह सम्बन्ध ठोक नहीं है। क्योंकि विट्ठल-लिखित गोपाल गुरु पूर्वलिखित गोपालाचार्य है । संन्यास लेने पर वह गोपालगुरु नाम से १० प्रसिद्ध हुआ, यह हम पूर्व लिख चुके हैं। 'प्रक्रियाप्रसाद' के अन्त के छठे श्लोक से ज्ञात होता है कि नृसिंह (प्रथम) के कई पुत्र थे, न्यून से न्यून तीन अवश्य थे। क्योंकि 'गोपालाचार्यमुख्याः प्रथितगुणगणास्तस्य पुत्रा प्रभूवन्'श्लोकांश में बहुवचन से निर्देश किया है। ज्येष्ठ का नाम गोपालाचार्य और कनिष्ठ का नाम कृष्णाचार्य था, यह स्पष्ट है। परन्तु मध्यम पुत्र के नाम का उल्लेख नहीं। विट्ठल ने विट्ठलाचार्य गुरु के पुत्र अनन्त को नमस्कार किया है । उससे प्रतीत
१. देखो--पृष्ठ ४३७, टि० २। २. देखो- पृष्ठ ४३७, टि० १ ।
३. श्री विठ्ठलाचार्यगुरोस्तनूजं सौजन्यभाजजितवादिराजम् । अनन्तसंज्ञ पदवाक्यविज्ञं प्रमाणविज्ञं तमहं नमामि ।। अन्त में मुद्रित ११ वां श्लोक । २०