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________________ महाभाष्य के टीकाकार ४३५ १० परिचय वंश-शेष नारायण ने श्रौतसर्वस्व के अन्त में अपना परिचय इस प्रकार दिया है इति श्रीमद्वोधायनमार्गप्रवर्तकाचार्यश्रीशेषअनन्तदीक्षितसुतश्रीशेषवासुदेवदीक्षिततनद्भवमहामीमांसकदीक्षितशेषनारायणनिर्णोते श्रौत- ५ सर्वस्वेऽव्यङ्गादिविचारो नाम द्वितीयः।' ____ इससे विदित होता है कि शेष नारायण के पिता का नाम वासुदेव दीक्षित और पितामह या नाम अनन्त दीक्षित था। इस शेष नारायण ने बौधायन श्रौतसर्वस्व के अतिरिक्त बौधायन अग्निष्टोम प्रयोगादि ग्रन्थ भी रचे थे।' .. प्राफेक्ट की भूल-आफेक्ट ने अपने बृहत् सूचीपत्र में शेष नारायण के पिता का नाम 'कृष्णसूरि' लिखा है, वह ठीक नहीं । कृष्णसूरि तो शेष नारायण का पुत्र है। सूक्तिरत्नाकर में अनेक स्थानों पर निम्न श्लोक मिलते हैं श्रीमत्फिरिन्दापराजराजः श्रीशेषनारायणपण्डितेन। १५ फणीन्द्रभाष्यस्य सुबोधटीकामकारयद् विश्वजनोपकृत्यै ॥ भाट्टे भट इव प्रभाकर इव प्राभाकरे योऽभवत, कृष्णः सूरिरतोऽभवद् बुधवरो नारायणस्तत्कृतौ । नानाशास्त्रविचारसारचतुरे सत्तर्कपूर्णे महा भाष्यस्याखिलभावगूढविवृतौ श्रीसूक्तिरत्नाकरे ॥ २० 'सम्भव है कि आफेक्ट ने द्वितीय श्लोक के द्वितीय चरण का किसी हस्तलेख में 'कृष्णसूरितोऽभवद्'अशुद्ध पाठ देखकर शेष नारायण को कृष्णसूरि का पुत्र लिखा होगा । कृष्णमाचार्य की भूल-पं० कृष्णमाचार्य ने 'हिस्ट्री आफ क्लासिकल संस्कृत लिटरेचर' पृष्ठ ६५४ में 'सूक्तिरत्नाकर' के कर्ता शेष २५ नासयण को शेषकृष्ण का पुत्र और वीरेश्वर का भाई लिखा है, वह भी अशुद्ध है। १. इण्डिया प्राफिस लन्दन का सूचीपत्र भाग १, पृष्ठ ७०, ग्रन्थाङ्क ३६०। २. द्र०–बौधायनश्रोत दर्शपूर्णमास भाग के सायण भाष्य के सम्पादक रूपनारायण पाण्डेय लिखित प्रास्ताविक, पृष्ठ २३ । (प्रयागमुद्रित)। ३०
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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