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संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास
आफेक्ट ने शेषनारायण के एक शिष्य का नाम शेष रामचन्द्र लिखा है। यह शेषकुलोत्पन्न नागोजि पण्डित का पुत्र है। इसने पाणिनीय व्याकरणस्थ स्वरविधायक सूत्रों की 'स्वर-प्रक्रिया' नाम्नी व्याख्या लिखी है।' यह आनन्दाश्रम पूना से सन् १९७४ में प्रकाशित
वंशवृक्ष-शेषवंश पाणिनीय व्याकरण-निकाय में एक विशेष स्थान रखता है । इस वंश के अनेक व्यक्तियों ने व्याकरण-सम्बन्धी ग्रन्थ लिखे हैं, जिनका बणन इस ग्रन्थ में अनेक स्थानों पर होगा।
अतः हम इस वंश का पूर्ण परिचायक वंशवृक्ष नीचे देते हैं, जिससे १० अनेक स्थानों पर कालनिर्देश करने में सुगमता होगी
अनन्ताचार्य
नसिंह
गोपालाचार्य' विटठलाचार्य
कृष्णाचार्य
रामचन्द्र अनन्त
. नृसिंह रामचन्द्र जानकीनन्दन वासूदेव ।
। चिन्तामणि कृष्ण नृसिंह अनन्त शेषनारायण ।
रामेश्वर 'नागनाथ विट्ठल कृष्णसूरि
रामचन्द्र लक्ष्मीधर महादेवसूरि
अनन्त शेष विष्णु
... १. इति शेषकुलोत्पन्नेन नागोजिपण्डितानां पुत्रेण रामचन्द्रपण्डितविरचिता स्वरप्रक्रिया समाप्ता । सं० १८४८ वि० । जम्मू के रघुनाथ मन्दिर के पुस्तकालय का सूचीपत्र, पृष्ठ २६३ पर उद्धृत । मानन्दाश्रम पूना से प्रकाशित
ग्रन्थ में सं० १९१४ लिखा है। २० विशेष—इस पृष्ठ की शेष २, ३, ४, ५, ६, ७, टिप्पणियां अगले पृष्ठ पर देख ।