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________________ ४३० संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास महाभाष्य-लघुवृत्ति पुरुषोत्तमदेव विरचित भाष्यवृत्ति का प्रथम परिचय पं० दिनेशचन्द्र भट्टाचार्य ने दिया है। इसका नाम प्राणपणा था। पुरुषोत्तम देवकृत भाष्यवृत्ति का व्याख्याता शंकर पण्डित लिखता है 'प्रथ भाष्यवृत्तिव्याचिख्यासुर्देवो विघ्नविनाशाय सदाचारपरिप्राप्तमिष्टदेवतानतिस्वरूपं मङ्गलमाचवार । तत्पद्यं यथा नमो बुवाय बुद्धाय यथात्रिमुनिलक्षणम् । विधोयते प्राणपणा भाषायां लघुवृत्तिका ॥ इति देव ।' शंकर-विरचित व्याख्या के टीकाकार मणिकण्ठ ने देवकृत १० व्याख्या का नाम 'प्राणपणित' लिखा है।' पुरुषोत्तमदेव की भाष्य व्याख्या को नागेशभट्ट का शिष्य वैद्यनाथ पायगुण्डे उद्योत की छाया टीका में उदघत करके उसका खण्डन करता 'यत्तु च्छ्वोरित्यूड् इति देवः, तन्न....।' १५. अन्य व्याकरण-ग्रन्थ १-कुण्डली-व्याख्यान-श्रुतपाल ने 'कुण्डली' नामक कोई व्याकरण ग्रन्थ लिखा था । श्रुतपाल के व्याकरण-विषयक अनेक मत भाषावृत्ति, ललितपरिभाषा', कातन्त्रवृत्तिटीकाऔर जैन शाक १. देखो-इण्डियन हिस्टोरिकल क्वार्टी सेप्टेम्बर १९४३, पृष्ठ २० २०१। पुरुषोत्तमदेव की भाष्यवृत्ति और उसके व्याख्याताओं का वर्णन हमने इसी लेख के आधार पर किया है । तया वारेन्द्र रिसर्च म्यूजियम राजशाही. बंगाल (वर्तमान में बंगलादेश) से मुद्रित पुरुषात्तमदेव विरचित 'परिभाषात्ति' के अन्त में भी ये सब अंच अधिक विस्तार से छपे हैं। २. श्री देवयाख्यातप्राणपणितभाष्यग्रन्थस्य ...."इ० हि० क्वार्टी २५ पृष्ठ ३०३ ॥ ३. नवाह्निक, निर्णयसागर संस्क०, पृष्ठ १८२. कालम २। ४. अत्र संस्करोतेः कैयटश्रुतपालयोमतभेदात् ।।३।५॥ ५. कार्मस्ताच्छील्ये (अष्टा० ५४१७२) इत्यत्र श्रुतपालेन ज्ञापितो ह्ययमर्थः । 'वारेन्द्र रिसर्च सोसाइटी' हस्तलेख नं० ६३०, पत्रा ३२ क । ६. कृतप्रकरण, ६८॥
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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