________________
महाभाष्यकार पतञ्जलि
३५६ भामह ने अपने अलङ्कार ग्रन्थ में सूत्रकार के साथ पदकार को स्मरण किया है।' क्षीरस्वामी ने अमरकोश ३।११३५ की टीका में पदकार के नाम से एक पाठ उद्धृत किया है, परन्तु वह महाभाष्य में नहीं मिलता। सांख्यकारिका की युक्तिदीपिका टीका में पदकार के नाम से एक वात्तिक उद्धृत है। न्यास ३।२।२७ में जिनेन्द्रबुद्धि ने एक ५ पदकार का पाठ उद्धृत किया है, वह वार्तिक और उसके भाष्य से अक्षरशः नहीं मिलता है।
अनुपदकार-दुर्घटवृत्ति पृष्ठ १२६ पर अनुपदकार के एक मत का उल्लेख मिलता है।' मैत्रेयरक्षित ने भी तन्त्रप्रदीप ७।४।१ में अनुपदकार का मत उद्धृत किया है। ये अनुपदकार के नाम से १० उद्धृत मत महाभाष्य में नहीं मिलते।
पदशेषकार-काशिका ७२।५८ में पदशेषकार का एक मत उद्धृत है, वह भी महाभाष्य में नहीं मिलता । पदशेषकार का एक उद्धरण पुरुषोत्तमत्तदेवविरचित महाभाष्य-लघुवृत्ति की 'भाष्यव्याख्याप्रपञ्च' नाम्नी टीका में भी उपलब्ध होता है।'
१५
१. सूत्रकृत्पदकारेष्टप्रयोगाद् योऽन्यथा भवेत् । ४।२२। यहां पदकार शब्द महाभाष्यकार के लिये प्रयुक्त हुआ है । मुद्रितग्रन्थ में 'पादकार' छपा है वह अशुद्ध है। २. यजजप इत्यत्र वदेरनुपदेशः कार्य इति पदकारवाक्यादूकः ।
३. पदकारस्त्वाह-जातिवाचकत्वात् । पृष्ठ ७। नुलना करो—दम्भेर्हल्ग्रहणस्य जातिवाचकत्वात् सिद्धम्, वार्तिक । २२।१०॥ हो सकता है यह २० वार्तिक न हो, भाष्य वचन ही हो। ४. तथाहि पदकारः पठतिउपपदविधौ भयाढ्यादि-ग्रहणं तदन्तविधि प्रयोजयतीति ।
५. उपपदविधो भयाढ्यादिग्रहणम् । उपपदविधौ भयाढ्यादिग्रहणं प्रयोजनम् । महाभाष्य १॥१७२॥
६. प्रेन्वनमिति । अनुपदकारेणानुम उदाहरणमुपन्यस्तम् । __७. एवं च युवानमाख्यत् अचीकलदित्यादिप्रयोगोऽनुपदकारेण नेष्यते इति लक्ष्यते । देखो भारतकौमुदी भाग २, पृष्ठ ८६४ की टिप्पणी में उद्धृत । , ७. पदशेषकारस्य पुनरिदं दर्शनम्.......॥ पदशेषो ग्रन्थविशेष इति पदमञ्जरी । काशिका का उद्धृत पाठ धातुवृत्ति में भी उद्धृत हैं । देखो गम घातु, पृष्ठ १९२। ९. पदशेषकारस्तु शब्दाध्याहार शेषमिति वदति। ३० इण्डियन हिस्टोरिकल क्वार्टी, सेप्टेम्बर १९४३, पृष्ठ २०७ में उद्धृत ।
२५