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________________ श्राचार्य पाणिनि के समय विद्यमान संस्कृत वाङ्मय २७५ हरण में अग्निचयनान्त ग्रन्थ पढ़ने का निर्देश है । शतपथ के नवम काण्ड पर्यन्त विशेष पठन-पाठन होने का एक कारण यह भी है कि शतपथ के प्रथम & काण्डों में यजुर्वेद के प्रारम्भिक १८ अध्यायों के प्रायः सभी मन्त्र क्रमशः व्याख्यात हैं । आगे यह विशेषता नहीं है । कात्यायन श्रौतसूत्र के परिशिष्टरूप प्रतिज्ञा' सूत्र परिशिष्ट की ५ चतुर्थ कण्डिका में शतपथ के १५, ६० तथा ८० अध्यायात्मक 'पञ्चदशपथ ' ' षष्टिपथ' 'श्रशीतिपथ' तीन अवान्तर भेद दर्शाये हैं । ' 1 13 अष्टाध्यायी के 'न सुब्रह्मण्यायां स्वरितस्य तदात्त: सूत्र में 'सुब्रह्मण्य' निगद का उल्लेख है | सुब्रह्मण्य निगद माध्यन्दिन शतपथ में उपलब्ध होता है । स्वल्प पाठभेद से काण्व शतपथ में भी मिलता १० है । परन्तु पाणिनि तथा कात्यायन प्रदर्शित स्वर माध्यन्दिन और काण्व दोनों शतपथों में नहीं मिलता । शतपथ का तीसरा भेद कात्यान भी है ।" सम्भव है पाणिनि और वार्तिककार प्रदर्शित स्वर उसमें हो, अथवा इन दोनों का संकेत किसी अन्य ग्रन्थस्थ सुब्रह्मण्या निगद की ओर हो । सुब्रह्मण्या का व्याख्यान षड्विंश ब्राह्मण १।१८ से १।२ के अन्त तक मिलता है, परन्तु षड्विंश में सम्प्रति स्वरनिर्देश उपलब्ध नहीं होता । १५ ३. श्रनुब्राह्मण - पाणिनि ने 'अनुब्राह्मणादिनिः ६ सूत्र में 'अनुब्राह्मण' का साक्षात् उल्लेख किया है । अनुब्राह्मण का लक्षण - काशिकाकार ने अनुब्राह्मण के विषय में २० लिखा है - ब्राह्मणसदृशोऽयं ग्रन्थोऽनुब्राह्मणम् । इस से अनुब्राह्मण का स्वरूप अभिव्यक्त नहीं होता है । भट्ट भास्कर तै० सं० ११८ | १ के आरम्भ में लिखता है - द्विविधं ब्राह्मणम् । कर्मब्राह्मणं कल्पब्राह्मणं च । तत्र कर्मब्राह्मणं यत् केवलानि कर्माणि विधत्ते मन्त्रान् विनियुङ्क्ते, न प्रशंसां करोति न निन्दाम् । २५ १. कात्यायन प्रातिशाख्य से सम्बद्ध भी एक प्रतिज्ञा परिशिष्ट है । २. अथ ब्राह्मणम्—पञ्चदशपथः, षष्टिनाडीकमन्त्रः षष्टिपथः, अशीतिपथः, शतपथ:, अवध्या सम्मितः । ३. श्रष्टा० ११२२७॥ ४. शत० ३।४।१७-२० ॥ ५. देखो वैदिक वाङ्मय का इतिहास, भाग १, पृष्ठ २७७, द्वि० सं० ॥ ६. अष्टा० ४।२।६२॥ ३०
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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