SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 299
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६२ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास की प्राचीनता में जितने प्रमाण दिये हैं, वे सब निर्मूल हैं । अब हम इस को प्राचीनता में एक प्रत्यक्ष प्रमाण देते हैं काशिका ६।२।१०४ में एक प्रत्युदाहरण है-पूर्वपाणिनीयं शास्त्रम् ।' यहां शास्त्र पद का प्रयोग होने से स्पष्ट है कि काशिका५ कार का संकेत किसी 'पूर्वपाणिनीय' ग्रन्थ की ओर है। हरदत्त ने इस प्रत्युदाहरण की व्याख्या 'पाणिनीयशास्त्रं पूर्व चिरन्तनमित्यर्थः' की है । यह क्लिष्ट कल्पना है । सम्भव है उसे इस ग्रन्थ का ज्ञान न रहा हो। - इस अध्याय में हमने पाणिनि और उस के शब्दानुशासन तथा १० तद्विरचित अन्य ग्रन्थों का संक्षिप्त वर्णन किया है। अगले अध्याय में आचार्य पाणिनि के समय विद्यमान संस्कृत वाङ्मय का वर्णन करेंगे।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy