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________________ २२४ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास ४. सर W. W. हण्टर कहता है-संसार के व्याकरणों में पाणिनि का व्याकरण चोटी का है। उसकी वर्णशुद्धता, भाषा का धात्वन्वय सिद्धान्त और प्रयोगविधियां अद्वितीय एवं पूर्व हैं । ...... यह मानव मस्तिष्क का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण आविष्कार है'। ५ ५. लेनिनग्राड के प्रो० टी० शेरवात्सको ने पाणिनीय व्याकरण का कथन करते हुए उसे 'इन्सानी दिमाग को सब से बड़ी रचनाओं में से एक' बताया है ।' क्या कात्यायन और पतञ्जलि पाणिनि का खण्डन करते हैं ? महाभाष्य का यत्किचित् अध्ययन करने वाले और वह भी अनार्ष १० बुद्धि से, कहते हैं कि कात्यायन और पतञ्जलि पाणिनि के शतशः सूत्रों और सूत्रांशों का खण्डन करते हैं । इसी के आधार पर इन श्राज्ञान- शून्य लोगों ने यथोत्तरमुनीनां प्रामाण्यम्' ऐसा वचन भी घड़ लिया है । वस्तुत: अर्वाचीनों का यह मत सर्वथा प्रयुक्त है | यदि कात्यायन और पतञ्जलि पाणिनि के ग्रन्थ में इतनी अशुद्धियां १५ समझते तो न कात्यायन अष्टाध्यायी पर वार्तिक लिखता और न पतञ्जलि महाभाष्य, तथा न पतञ्जलि यह कहते कि 'इस शास्त्र में एक वर्ण भी अनर्थक नही है । इस से मानना होगा कि कात्यायन और पतञ्जलि ने उन सूत्रों वा सूत्रांशों का खण्डन नहीं किया, अपितु अपने बुद्धिचातुर्य से प्रकारान्तर द्वारा प्रयोग -सिद्धि का निदर्शनमात्र २० कराया है । समस्त अर्वाचीन वैयाकरणों में महाभाष्य की 'सिद्धान्त रत्न - १. पं० जवाहरलाल लिखित 'हिन्दुस्तान की कहानी' पृष्ठ १३१ । २. महाभाष्यप्रदीपोद्योत ३|१|८०|| नहि भाष्यकारमतमनादृत्य सूत्रकारस्य कश्चनाभिप्रायो वर्णयितु ं युज्यते । सूत्रकारवार्तिककाराभ्यां तस्यैव प्रामा२५ ण्यदर्शनात् । तथा चाहु: - चतुष्कपञ्चकस्थानेषूत्तरोत्तरतो भाष्यकारस्यैव प्रामाण्यमिति । तन्त्रप्रदीप ७।१, १२, धातुप्रदीप भूमिका पृष्ठ २ में उद्धृत । इसका पूर्व भाग सर्वथा इतिहास विरुद्ध है । मैत्रेयरक्षित का उक्त कथन तभी सम्भव हो सकता है, जब पाणिनि कात्यायन और पतञ्जलि समकालिक हों । ३. महाभाष्य १।१।१।। तथा सामर्थ्ययोगान्तहि किञ्चिदस्मिन् पश्यामि ३० शास्त्रे यदनर्थकं स्यात् । महाभाष्य ६ । १५७७ ॥
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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