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पाणिनि और उसका शब्दानुशासन
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१ - गृहपति शौनक ऋक्प्रातिशाख्य' तथा बृहद्देवता' में यास्क 'बहुधा उद्धृत करता है ।
२ – पाणिनि का अनुज पिङ्गल 'उरोबृहती यास्कस्य'' सूत्र में यास्क का स्मरण करता है ।
३ यास्क निरुक्त ११५ में कौत्स का उल्लेख करता है । महा- ५ भाष्य ३।२।१०८ के अनुसार एक कौत्स पाणिनि का शिष्य था । *
४ - यास्क अपनी तैत्तिरीय अनुक्रमणो में ऋक्प्रातिशाख्य के प्रवक्ता शौनक का निर्देश करता है ।"
५ - पिङ्गल का नाम पाणिनीय गणपाठ ४ । १ । ६६, १०५ में मिलता है ।
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६ - पाणिनि 'शौनकादिभ्यश्छन्दसि' सूत्र में शाखाप्रवक्ता शौनक का उल्लेख करता है ।
७- शौनक शाखा का प्रवक्ता गृहपति शौनक ऋक्प्रातिशाख्य के अनेक सूत्रों में व्याडि का निर्देश करता है ।" व्याडि का ही दूसरा नाम दाक्षायण है । वह पाणिनि का मामा था, यह हम पूर्व (पृष्ठ १ १९५-९६) लिख चुके हैं।
१. न दाशतय्येकपदा काचिदस्तीति वै यास्क: । १७।४२।।
२. बृहद्देवता १ । २६ । । २।१११, १३२,१३७ ॥३७६, १००,११२ इत्यादि । ३. छन्द: शास्त्र ३।३०॥ ४. उपसेदिवान् कौत्सः पाणिनिम् । ५. द्वादशिनस्त्रयोऽष्टाक्षरांश्च जगती ज्योतिष्मती । सापि त्रिष्टुबिति २० शौनकः ॥ | वैदिक वाङ्मय का इतिहास, वेदों के भाष्यकार संज्ञक भाग, पृष्ठ २०५ पर उद्धृत । तुलना करो ऋक्प्रातिशाख्य १३।७० ॥ ६. भ्रष्टा० ४ | ३ | १०६ ॥
७. मुण्डकोपनिषद् १।१।३ में शौनक को 'महाशाल' कहा है । शंकर ने इस का अर्थ महागृहस्थः ' किया है । वह चिन्त्य है । महाशाल का मुख्य अर्थ है महती पाठशाला वाला । पाठशाला के लिये संस्कृतभाषा के समान मराठी २५ भाषा में भी 'श'ला' शब्द का प्रयोग होता है । जिस की शाला में सहस्रों विद्यार्थी अध्ययन करते हों । गृहपति का जो लक्षण धर्मशास्त्रों में लिखा है, तदनुसार दस सहस्र विद्यार्थियों का भरणपोषण करते हुए विद्यादाता प्राचार्य 'गृहपति' कहता है ।
८. ऋक्प्राति०२।२३, २८ || ६ |४३|१३|| ३१।३१,३७॥
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