________________
२१ पाणिनीय अष्टाध्यायी में स्मृत प्राचाय १६१ अकृतव्रण काश्यप था।' विष्णुपुराण की श्रीधर की टीका पृष्ठ ३६६ में पुराण प्रवक्ता अकृतव्रण को काश्यप कहा है ।
७. काश्यपीय सूत्र - उद्योतकर अपने न्यायवार्तिक में कणादसूत्रों को काश्यपीय सूत्र के नाम से उद्धृत करता है । सम्भव है कणाद कश्यप गोत्रीय हो ।
व्याकरण, कल्प, छन्दःशास्त्र, आयुर्वेद, शिल्पशास्त्र, अलंकारशास्त्र, पुराण और कणादसूत्रों का प्रवक्ता एक ही व्यक्ति है वा भिन्न-भिन्न, यह अज्ञात है।
३-गार्य (३१०० वि० पूर्व) पाणिनि ने अष्टाध्यायी में गार्य का उल्लेख तीन स्थानों पर किया। गार्य के अनेक मत ऋक्प्रातिशाख्य और वाजसनेय-प्रातिशाख्य में उपलब्ध होते हैं । उनके सूक्ष्म पर्यवेक्षण से विदित होता है कि गार्य का व्याकरण सर्वाङ्गपूर्ण था।
परिचय __गार्य पद गोत्रप्रत्ययान्त है, तदनुसार इसके मूल पुरुष का नाम गर्ग था । गर्ग पूर्व निर्दिष्ट वैयाकरण भरद्वाज का पुत्र था । इससे अधिक इसके विषय में कुछ ज्ञात नहीं। .. अन्यत्र उल्लेख -किसी नरुक्त गार्ग्य का उल्लेख यास्क ने अपने निरुक्त में किया है। सामवेद का पदपाठ भी गार्यविरचित माना २०
१. आत्रेयः सुमति/मान् काश्यपोऽयकृतव्रणः ।
२. तथा काश्यपीयम्-सामान्य-प्रत्यक्षाद विशेषाप्रत्यक्षाद् विशेषस्मृतेश्च संशय इति । न्यायवर्तिक १।२।२३ पृष्ठ ६६ । यह वैशेषिक (२।२।१७) का सूत्र है। उद्योतकर विक्रम की प्रथम शताब्दी का ग्रन्थकार है। देखो, श्री पं० भगवद्दत्तजी कृत भारतवर्ष का बृहद् इतिहास, भाग २ (सं० २०१७)पृष्ठ ३३८ । २५
३. अड् गार्यगालवयोः । अष्टा० ७।३।६६। ओतो गाय॑स्य । ८।३।२०॥ नोदात्तस्वरितोदयमगार्यकाश्पगालवानाम् । अष्टा० ८।४१६७॥
४. व्याडिशाकल्यगार्याः । १३॥३१॥ ५. ख्याते खयो कशी गार्ग्यः सख्योख्यमुख्यवर्जम् । ६. तत्र नामानि सर्वाण्याख्यातजानीति शाकटायनो नैरुक्तसमयश्च न सर्वा- ३०