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________________ १८ पाणिनीयाष्टक में अनुल्लिखित प्राचीन आचार्य १३७ काल पाणिनि ने माध्यन्दिनि के पिता मध्यन्दिन का निर्देश उत्सादिगण' में किया है। मध्यन्दिन वाजसनेय याज्ञवल्क्य का साक्षात् शिष्य है। उसने याज्ञवल्क्य-प्रोक्त शुक्लयजुःसहिता के पदपाठ का प्रवचन किया था । माध्यन्दिनी संहिता के अध्येता माध्यन्दिनों का एक मत ५ कात्यायनीय शुक्लयजुःप्रातिशाख्य में उद्धृत है । इन प्रमाणों से व्यक्त है कि मध्यन्दिन का पुत्र माध्यन्दिनि प्राचार्य पाणिनि से प्राचीन है । इसका काल विक्रम से लगभग ३००० वर्ष पूर्व है । मध्यन्दिन के ग्रन्थ शुक्लयजुः-पदपाठ-माध्यन्दिनि के पिता आचार्य मध्यन्दिन ने १० याज्ञवल्क्य-प्रोक्त प्राचीन शुक्लयजुःसंहिता का प्रवचन किया था माध्यन्दिन प्राचार्य ने मन्त्रपाठ में कोई परिवर्तन नहीं किया, केवल कुछ पूर्व पठित मन्त्रों की प्रतीकें यत्र तत्र बढ़ाई हैं। इसीलिये संहिता के हस्तलिखित ग्रन्थों में इसे बहुधा यजुर्वेद वा वाजसनेय संहिता कहा १. अष्टा० ४११६६॥ २. याज्ञवल्क्यस्य शिष्यास्ते कण्व-वैधेयशालिनः । मध्यन्दिनश्च शापेयी विदग्धश्चाप्युद्दालकः ॥ वायु पुराण ६१।२४,२५॥ यही पाठ कुछ भेद से ब्रह्माण्ड पूर्व भाग अ० ३५ श्लोक २८ में भी मिलता है । ३. तस्मिन् ळहळजिह्वामूलीयोपध्मानीयनासिक्या न सन्ति माध्यन्दिनानां, लुकारो दीर्घः. प्लुताश्चोक्तवर्जम् । ८।३६॥ २० ४. शुक्ल यजुर्वेदी दर्शपौर्णमास का प्रारम्भ पहले पूर्णिमा में पौर्णमास. तत्पश्चात् अमावास्या में दर्श, इस क्रम से मानते हैं । शतपथ ब्राह्मण भी पहले पौर्णमास मन्त्रों का व्याख्यान करता है, तदनन्तर दर्श मन्त्रों का । यदि शुक्ल यजःसंहिता का अपूर्व प्रवचन याज्ञवल्क्य अथवा मध्यन्दिन ने किया होता, तो उस में प्रथम इषे त्वादि दर्श मन्त्रों का प्रवचन न होकर शतपथ के समान पौर्ण- २५ मास मन्त्रों का प्रवचन होता। .. ५. माध्यन्दिनसंहिता में पुनरुक्त मन्त्र दो प्रकार से समाम्नात उपलब्ध होते हैं। प्रथम सकलपाठ के रूप में और द्वितीय प्रतीकनिर्देश के रूप में। सकलपाठरूप में पुनरुक्तमन्त्र मूल वाजसनेय संहिना के अंगभूत हैं। द्र०वैदिक-सिद्धान्त-मीमांसा, पृष्ठ २४४ ।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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