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________________ ६२ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास पुस्तकों में ऐन्द्र व्याकरण का उल्लेख है।' कथासरित्सागर के अनुसार ऐन्द्र तन्त्र पुराकाल में ही नष्ट हो गया था। अतः कवीन्द्राचार्य के सूचीपत्र में निर्दिष्ट ऐन्द्र व्याकरण कदाचित् अर्वाचीन ग्रन्थ होगा। पण्डित कृष्णमाचार्य को भूल -पं० कृष्णमाचार्य ने अपने ५ 'क्लासिकल संस्कृत लिटरेचर' ग्रन्थ के पृष्ठ ८११ पर लिखा है कि भरत के नाट्यशास्त्र में ऐन्द्र व्याकरण और यास्क का उल्लेख है। हमने भरत-नाट्यशास्त्र का भले प्रकार अनुशीलन किया है और नाट्याशास्त्र का पारायण हमने केवल पं० कृष्णमाचार्य के लेख की सत्यता जानने के लिए किया, परन्तु हमें ऐन्द्र व्याकरण और यास्क १० का उल्लेख नाट्यशास्त्र में कहीं नहीं मिला। हां, नाट्यशास्त्र के पन्द्रहवें अध्याय में व्याकरण का कुछ विषय निर्दिष्ट है और वह कातन्त्र व्याकरण से बहुत समानता रखता है । इस विषय में हम कातन्त्र के प्रकरण में विस्तार से लिखेंगे। डा. वेलवेल्कर की भूल-डाक्टर वेलवेल्कर का मत है-काढन्त्र १५ ही प्राचीन ऐन्द्र तन्त्र है। उनका मत अत्यन्त भ्रमपूर्ण है, यह हम अनुपद दर्शाएंगे। संभव है कृष्णमाचार्य ने डा० वेलवेल्कर के मत को मान कर ही भरत नाट्यशास्त्र में ऐन्द्र व्याकरण का उल्लेख समझा होगा। ऐन्द्र तन्त्र और तमिल व्याकरण १० अगस्त्य के १२ शिष्यों में एक पणंपारणार था । उस ने तमिल व्याकरण लिखा। उसके ग्रन्थ का आधार ऐन्द्र व्याकरण था। तोलकाप्पियं पर इसी पणंपारणार का भूमिकात्मक वचन है ।' यह तोलकाप्पियं ईसा से बहुत पूर्व का ग्रन्थ है । इस में श्लोकात्मक पाणिनीय, शिक्षा के श्लोकों का अनुवाद है ।' ऐन्द्र तन्त्र का परिमाण हम पूर्व लिख चुके हैं कि प्रत्येक विषय के आदिम ग्रन्थ अत्यन्त विस्तृत थे। उत्तरोत्तर मनुष्यों की आयु के ह्रास और मति के मन्द होने के कारण सब ग्रन्थ क्रमश संक्षिप्त किये गये । ऐन्द्र व्याकरण १. सूचीपत्र पृष्ठ ६। २. आदि से तरङ्ग ४, श्लोक २४, २५ । ३० ३. देखो पी.ऐल. सुब्रह्मण्य शास्त्री, एम. ए. पी एच. डी. का लेख जर्नल मोरियण्टल रिसर्च मद्रास, सन् १९३१,पृष्ठ १८३। ४. पूर्व पृष्ठ ६ । २५
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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