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पाणिनीयाष्टक में अनुल्लिखित प्राचीन प्राचार्य ऐसा महाभाष्य के व्याख्याता भर्तृहरि और कैयट का मत है।'
बृहस्पति के शब्दपारायण ग्रन्थ में किए गये प्रतिपद पाठ के प्रकार के विषय में हमने जो विचार उपस्थित किया है, वह सत्य के निकट है, तथापि वह अभी और प्रमाणों की अपेक्षा रखता है।
३-इन्द्र (९५०० वि० पू०) तैत्तिरीय संहिता ६।४।७ के प्रमाण से हम पूर्व लिख चुके हैं कि देवों की प्रार्थना पर देवराज इन्द्र ने सर्वप्रथम व्याकरणशास्त्र की रचना की। उस से पूर्व संस्कृत भाषा अव्याकृत व्याकरण-संबन्ध
राहत थी। इन्द्र ने सर्वप्रथम प्रतिपद प्रकृति-प्रत्यय-विभाग का विचार करके शब्दोपदेश की प्रक्रिया प्रचलित की।
परिचय वंश-इन्द्र के पिता का नाम कश्यप प्रजापति था, और माता का नाम अदिति । अदिति दक्ष प्रजापति की कन्या थी। कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र १ । ८ में बाहुदन्ती-पुत्र का मत उद्धृत किया है । प्राचीन टीकाकारों के मतानुसार बाहुदन्ती-पुत्र का अर्थ इन्द्र है। १५ क्या अदिति का नामान्तर बाहुदन्ती भी था ? महाभारत शान्ति पर्व अ० ५६ में बाहुदन्तक शास्त्र का उल्लेख है।
भ्राता-महाभारत तथा पुराणों में इन्द्र के ग्यारह सहोदर कहे हैं। वे सब अदिति की सन्तान होने से आदित्य कहाते हैं। उनके नाम हैं-धाता, अर्यमा, वरुण, अंश (अंशुमान्), भग, विवस्वान्, २० पूषा, पर्जन्य, त्वष्टा और विष्ण' ।। इनमें विष्ण सब से कनिष्ठ है । अग्नि और सोम भी इन्द्र के भाई हैं, परन्तु सहोदर नहीं।
१. शब्दपारायणं रूढिशब्दोऽयं कस्यचित् ग्रन्थस्य वाचक । भर्तृ ० महा. भाष्य दीपिका पृष्ठ २१ (हमारा हस्तलेख) पूना संस्करण, पृष्ठ १७ । शब्दपारायणशब्दो योगरूढ: शास्त्रविशेषस्य । कैयट, महाभाष्यप्रदीप नवा० २५ पृष्ठ ५१, निर्णयसागर सं० ।
२. पूर्व पृष्ठ ६६॥ . ३. प्रादिपर्व ६६।१५,१६॥ ४. भविष्य० ब्रा०प० ७८, ५३ ॥
५. इन में से पाठ आदित्यों के नाम ताण्ड्य ब्राह्मण २४।१२।४ में लिखे हैं ६. प्रजापतिरिन्द्रमसृजतानुजमवरं देवानाम् । ते० प्रा० २।२।१० ॥ ७. स इन्द्रोऽग्नीषोमो भ्रातरावब्रवीत् । शत० ११।१६।१६ ॥