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________________ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास द्वितीय प्रवक्ता-बृहस्पति ऋक्तन्त्र के उपर्युक्त वचन के अनुसार व्याकरणशास्त्र का द्वितीय प्रवक्ता बृहस्पति है। अङ्गिरा का पुत्र होने से यह प्राङ्गिरस नाम से प्रसिद्ध है । ब्राह्मण ग्रन्थों में इसे देवों का पुरोहित लिखा है ।' कोष ५ ग्रन्थों में इसे सुराचार्य भी कहा है। मत्स्य पुराण २३।४७ में यह वाक्पति पद से स्मृत है। - बृहस्पति का शास्त्र प्रवचन देवगुरु बृहस्पति ने अनेक शास्त्रों का प्रवचन किया था। उन में से जिन कतिपय शास्त्रों का उल्लेख प्राचीन वाङमय में उपलब्ध १० होता है, वे इस प्रकार हैं १. सामगान-छान्दोग्य उपनिषद् २।२२।१ में बृहस्पति के सामगान का उल्लेख मिलता है । २. अर्थशास्त्र-बृहस्पति ने एक अर्थशास्त्र रचा था । महाभारत में इस शास्त्र का विस्तार तीन सहस्र अध्याय बताया है। इस अर्थ१५ शास्त्र के मत और वचन कोटिल्य अर्थशास्त्र, कामन्दकोय नीतिसार और याज्ञवल्क्यस्मृति की बालक्रीडा टोका प्रभति ग्रन्थों में बहुधा उद्धृत हैं। ____३. इतिहास-पुराण-वायु पुराण १०३।५६ के अनुसार बृहस्पति ने इतिहास पुराण का प्रवचन किया था। ___-६. वेदाङ्ग-महाभारत में बृहस्पति को समस्त वेदाङ्गों का प्रवक्ता कहा है। व्याकरण-वेदाङ्गों के अन्तर्गत व्याकरणशास्त्र के प्रवचन का उल्लेख अनेक ग्रन्थों में मिलता है । महाभाष्य के अनुसार बहस्पति ने इन्द्र को दिव्य (=सौर) सहस्र वर्ष तक प्रतिपद व्याकरण का उप २५ १. बृहस्पतिर्वं देवानां पुरोहितः । ऐ० ब्रा० ८।२६ ॥ २. भार्यामर्पय वाक्पतेस्त्वम् । ३. अध्यायानां सहस्रेस्तु त्रिभिरेव बृहस्पतिः । शान्ति० ५६।८४ ॥ ४. बृहस्पतिस्तु प्रोवाच सवित्रे तदनन्तरम् । ५. वेदाङ्गानि बृहस्पतिः । शान्ति० अ० २१०, श्लोक २० ।।
SR No.002282
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages770
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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