SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 423
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३९५ षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका प्रत्यय-तालिक (पृ.१९-२४) गुणस्थन | मिथ्यात्व अविरति । योग कषाय समस्त सासादन मिश्र | आहारद्विक से रहित १० अनन्तानुबन्धिचतुष्क | आ. द्विक, औ.मि., से रहित व कार्भण से रहित ४३ व काम असंयत | आहारद्विक से रहित देशसंयत १७ प्रमत्त अप्रत्याख्यानचतुष्क से | आ.द्विक, औ.मि., यम रहित व कार्मण से रहित ११ प्रत्याख्यानचतुष्क से |आहारद्विक से सहित ___रहित उपर्युक्त २४ अप्रमत्त | आहारद्विक से रहित उपर्युक्त अपूर्वकरण अनिवृत्ति करण भा.१ भा.२ नोकषाय ६ से हीन नपुंसक से हीन अनिवृत्ति करण मा.३ स्त्रीवेद से हीन आ.द्विक, औ.मि., वै. व कार्मण से रहित
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy