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________________ ३५८ षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका २०३ तक, सम्यक्त्वोत्पत्ति में २०४ से २२० तक, एवं गत्यागति में २२० से ३६८ तक सूत्रसंख्या पाई जाती है। ऐसी अवस्था में हमारे सन्मुख दो प्रकार उपस्थित हुए कि या तो प्रथम से लेकर नौवीं तक सभी चूलिकाओं में सूत्रक्रम संख्या एक सी चालू रखी जावे, या फिर सबकी अलग अलग । यह तो बहुत विसंगत बात होती कि प्रतियों के अनुसार प्रथम दो चूलिकाओं का सूत्र क्रम पृथक् पृथक् रखकर शेष का एक ही रखा जाय, क्योंकि ऐसा करने का कोई कारण हमारी समझ में नहीं आया। प्रत्येक चूलिका का विषय अलग-अलग है और अपनी -अपनी एक विशेषता रखता है। सूत्रकार ने और तदनुसार टीकाकार ने भी प्रत्येक चूलिका की उत्थानिका अलग-अलग बांधी है । अतएव हमें यही उचित जंचा कि प्रत्येक चूलिका का सूत्रक्रम अपना अपना स्वतंत्र रखा जाय । हस्तलिखित प्रतियों और प्रस्तुत संस्करण में सूत्रसंख्याओं में जो वैषम्य है वह हस्त प्रतियों में संख्याएं देने में बेटियों के कारण उत्पन्न हुआ है । वहां कुछ सूत्रों पर कोई संख्या ही नहीं है, पर विषय की संगति और टीका को देखते हुए वे स्पष्टत: सूत्र सिद्ध होते हैं। कहीं कहीं एक ही संख्या दो बार लिखी गई है । इन सब त्रुटियों के निराकरण के पश्चात् जो व्यवस्था उत्पन्न हुई वही प्रस्तुत संस्करण में पाठका को दृष्टिगोचर होगी। यदि इसमें कोई दोष या अनाधिकार चेष्टा दिखाई दे तो पाठक कृपया हमें सूचित करें। विषय परिचय (पु. ६) षट्खंडागम के प्रथम खंड जीवस्थान के अन्तिम भाग को धवलाकार ने चूलिका कहा है । पूर्व में हुए अनुयोगों के कुछ विषम स्थलों का जहां विशेष विवरण किया जाय उसे चूलिका कहते हैं । यहां चूलिका में नौ अवान्तर विभाग किये गये हैं जिनका परिचय इस प्रकार है - १. प्रकृतिसमुत्कीर्तन चूलिका क्षेत्र, काल और अन्तर प्ररूपणाओं में जो जीव के क्षेत्र व काल सम्बन्धी नाना परिवर्तन बतलाये गये हैं वे विशेष कर्मबन्ध के द्वारा ही उत्पन्न हो सकते हैं। वे कर्मबन्ध १ सम्मत्तेसु अट्ठसु अणियोगद्दरिसुचूलिया किमट्ठमागदा ? पुषुत्ताणमट्टण्णमणिओगद्दाराणं विसमपएस विवरणहमागदा। पु. ६, पृ.२. चूलिया णाम किं ? एक्कारसअणिओगहरेसु सूइदत्थस्स विसेसियूण परूवणा चूलिया। खुद्दाबंध, अन्तिम महादंडक. उक्तानुक्तदुक्तचिन्तरं चूलिका ।गो. क. ३९८ टीका.
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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