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________________ मार्गणा मार्गणा के अवान्तर भेद १४ आहारमार्गणा मिध्यादृष्टि सासादन सम्बम्हहि सम्यग्मिध्यादृष्टि आहारक असंयतसम्यग्दृष्टि से अप्रमत्तसंयत तक चारों उपशामक चारों क्षपक स्योगिकेवली मिध्यादृष्टि सासादनसम्यग्दृष्टि असंवतसम्यग्दृष्टि अनाहारक सयोगिकेवली (समुद्धातगत) अयोगिकेवली ओघवत् नाना जीवों की अपेक्षा जघन्य उत्कृष्ट · मार्गणास्थानों की अपेक्षा जीवों के अन्तर, भाव और अल्पबहुत्व का प्रमाण (पु. ५, प्रस्ता. पृ.४३ क ) एक जीव की अपेक्षा जघन्य उत्कृष्ट " निरन्तर ओघवत् " अन्तर निरन्तर एक समय पल्योपन का असं भाग मासपृथक्त्व वर्षपृथक्त्व छह मास ओघवत् पल्योपम का असं भाग अन्तर्मुहूर्त ओघवत् ओघवत् असंख्यात उत्सर्पिणी अवसर्पिणी निरन्तर " " ओघवत् भाव औदधिक ओघवत् = औपशमिक क्षाविक औदविक पारिणामिक् ओघवत् क्षायिक गुणस्थान चारो उपशामक .. पक सयोगिकेवली अल्पबहुत्व प्रमत्तसंयत सासादनसम्यग्दृष्टि सम्यग्मिध्यादृहि असंयतसम्यग्दृष्टि मिध्यादृष्टि सयोगिकेवली आयोगिकेवली सासादनसम्यग्दृष्टि असंयतसम्यग्दृष्टि मिध्यादृष्टि प्रमाण सबसे कम संख्यातगुणित " असंख्यातगुणित " संख्यातगुणित असंख्यातगुणित अनन्तगुणित सबसे कम संख्यातगुणित असंख्यातगुणित अनन्तगुणित ३३९
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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