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________________ २३८ - मार्गणास्थानों की अपेक्षाजीवों के अन्तर, भाव और अल्पबहुत्व का प्रमाण (पु.५, प्रस्ता . पृ.४३ औ) अन्तरमार्गणा मार्गणा के अवान्तर भेद | नाना जीवों की अपेक्षा | एक जीव की अपेक्षा भाव जघन्य | उत्कृष्ट | जघन्य । चारोंक्षपक सयोगिकेवली | ओघवत् | ओघवत् ओघवत् ओघवत् क्षायिक आयोगिकेवली अल्पबहुत्व . प्रमाण गुणस्थान असंयतसम्बम्दृष्टि असंस्थातगुणित निरन्तर अन्तर्मुहूर्त देशोन पूर्वकोटि ..६६ सागरोपम क्षायोपशमिक असंयतसम्बधि बेवक- संयतासंयत सम्यम्हाधि/प्रमत्तसंपत अप्रमत्तसंवत अप्रमत्तसंयत प्रमत्तसंयत संयतासंयत असंयतसम्बम्हति सबसे कम संख्यातगुणित असंख्यातगुणित साधिक ३३. एक समय | सात अहोरात्र अन्तर्मुहूर्त १२ सम्यक्त्वमार्गणा औपशामिक क्षायोपशमिक चारो उपशामक अधमत्तसंगत सबसे कम संख्यातगुणित असंयतसम्यम्हति संयतासंयत उपशमसम्यम्दृष्टि प्रमत्तसंयत अप्रमत्तसंयत तीन उपशामक उपशान्तकषाय प्रमत्तसंवत वर्षपृथक्तत्व औपशामिक संबतासंयत असंयतसम्बम्साहि असंख्यातगुणित निरन्तर निरन्तर ओघवत् गुणस्थानभेदाभाव अल्पबहुत्वभाव सासादनसम्बग्दृष्टि सम्यग्मिध्यारह मिध्यावधि पल्योपमका असंख्यातवां भाग निरन्तर मीवविक संझी मिथ्याष्टि सासादन से उपशान्त ओघवत् | पुरुष- । वेदिवत् ओघवत् पुरुषवेदिवत् भोषवत् पुरुषवेदिवत् ओघवत् पुरुषवेदिवत् औदविक भोपवत् सर्वगुणस्थान मनोयोगिवत् चारोक्षपक ओघवत् | मोघवत् | ओघवत् ओषवत् सायिक १३ संज्ञि मार्गणा असंत्री निरन्तर निरन्तर भादयिक | गुणस्थानभेदाभाव | अल्पबहुत्वभाव
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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