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________________ मार्गणास्थानों की अपेक्षाजीवों के अन्तर, भाव और अल्पबहुत्व का प्रमाण (पु.५, प्रस्ता . पृ.४३ ए) अन्तर मार्गणा मार्गणा के अवान्तर भेद | नाना जीवों की अपेक्षा | एक जीव की अपेक्षा भाव | जघन्य | उत्कृष्ट जघन्य | उत्कृष्ट असंवतसम्बग्दति निरन्तर अन्तर्मुहूर्त | देशोन पूर्वकोटि मोघवत् संवतासंवत साधिक ६६ सागरोपम अल्पबहुत्व गुणस्थान प्रमाण चारों उपशापक सबसे कम चारों क्षपक संख्यातगुणित भधमत्तसंबत प्रमत्तसंयत संयतासंयत असंख्यातगुणित असंयतसम्यम्पुष्टि मति-श्रुत प्रमत्तसंवत भवधिज्ञानी अप्रमत्तसंवत चारों उपशामक वर्षपृथक्त्व अवधि मोघवत् चारों आपक मोधवत् | मोषवत् ओघवत् क्षायिक . निरंतर अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त क्षायोपशमिक (प्रमत्तसंवत मन पर्वबोमप्रमत्तसंवत चारों उपशामक सबसे कम संख्यातगुणित . ७ ज्ञानमार्गणा एक समय | पृषक्त्व देशोन पूर्वकोटि निरन्तर ओघवत् ओघवत् भीपशमिक क्षाधिक चारों उपशामक चारों क्षपक अप्रमत्तसंयत प्रमत्तसंवत भायोगिकेवली संख्यातगुणित मोषवत् । | ओघवत् बल-सियोगिकेवली शानी आयोगिकेवली सबसे कम सयोगिकेवली अन्तर्मुहूर्त । अन्तर्मुहूर्त क्षायोपशमिक सबसे कम उप. अपूर्वकरण । , अनिवृत्ति. प्रमत्तसंवत निरन्तर मनमत्तसंवत सामायिक दोपस्था. उपशामक अपूर्वकरण एक समय | .. अनिवृत्तिकरण | क्षपक अपूर्वकरण मोषधवत् अनिवृत्तिकरण पृथक्त्व देशोन पूर्वकोटि औपशमिक संख्यातगुणित क्षिपक अपूर्वकरण ।..अनिवृत्तिकरण अप्रमत्तसंयत प्रमत्तसंयत ओघवत् ओघवत् मोधवत् क्षायिक निरन्तर परिहार- प्रमत्तसंवत शुविसंयमी मप्रमत्तसंपत अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त क्षायोपशमिक मधमत्तसंयत प्रमत्तसंयत सबसे कम संख्यातगुणित ८संयममागणा निरन्तर सूक्ष्मसाम्प-उपसूक्ष्म. राबसंयमी सपक, सूक्ष्मसा.उपशा. एक समय । वर्षपृथक्त्व । मोधवत् | मोषवत् मोधवत् क्षाबिक मोधवत् सबसे कम संख्यातगुणित । मोधवत्
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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