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________________ मार्गणा मार्गणा के अवान्तर भेद ६ कषायमार्गणा करण उपशापक तक क्षपक अपूर्वकरण क्षपक अनिवृत्तिकरण नपुंसकवेदी मिध्यादृष्टि सासादन से अनिवृत्ति ओघवत् { अनिवृत्ति उप. सूक्ष्मसाम्य उप. अपगतवेदी अज्ञानी उपशान्तकपाय { क्रोधादिचतुष्कषायी (मिध्या. से अनि. उपशामक (क्षीणकषाय अकषायी (सयोगिकेवली अयोगिकेवली क्षपक अनिवृत्तिकरण ओघवत् अयोगिकेवली तक नाना जीवों की अपेक्षा उत्कृष्ट Pahile मत्यज्ञानी मिध्यादृष्टि ( श्रुतानानी मिध्यादृटि 'विभंगज्ञानी, " सासादन कषायी (लोभक. सूक्ष्मसां उप शोधनत् (लोभक. सूक्ष्मस. प. " निरन्तर एक समय मनोयोगिबत् मार्गणास्थानों की अपेक्षा जीवों के अन्तर, भाव और अल्पबहुत्व का प्रमाण (पु.५, प्रस्ता. पृ.४३) एक समय ओघवत् ओघवत् वर्णपृथक्त्व "1 निरन्तर " ओघवत् मनोयोगिवत् ओघवत् वर्षपृथक्त्व ओघवत् : अन्तर एक जीव की अपेक्षा जपन्य अन्तर्मुहूर्त ओघवत् अन्तर्मुहूर्त ओघवत् ओघवत् उत्कृष्ट देशोन १३ सागरोपम ओघवत् निरन्तर मनोयोगिवत् निरन्तर निरन्तर निरन्तर निरन्तर अन्तर्मुहूर्त ओघवत् मनोयोगिवत् ओघवत् भाव औदविक ओघवत् क्षायिक ओघवत् : : ओघवत् : क्षायिक औदविक पारिणामिक गुणस्थान सर्वगुणस्थान अल्पबहुत्व असंवतसम्बम्हडि तक मिध्यादृष्टि सूक्ष्म. उप. सूक्ष्म क्षपक चारों गुणस्थान सासादनसम्बम्हरि मिध्यादृष्टि प्रमाण { ओघवत् पुरुषबेक्त्ि अनन्तगुणित विशेषाधिक संख्यातगुणित ओघवत् सबसे कम अनन्तगुणित ३३४
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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