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________________ मार्गणास्थानों की अपेक्षा जीवों के अन्तर, भाव और अल्पबाहुत्वका प्रमाण (पु.५, प्रस्ता . पृ.४३६) मार्गणा मार्गणा के अवान्तर भेद | नाना जीवों की अपेक्षा | एक जीव की अपेक्षा भाव जघन्य | उत्कृष्ट जघन्य | उत्कृष्ट अल्पबहुत्व गुणस्थान प्रमाण भोपवत् | मोधवत् मोधवत् मोधवत् मोधवत् मोधवत् मिथ्यादि पंचेन्द्रिय सासावनसम्बम्हति । सम्बम्मिथ्याष्टि उपशामक अपूर्व करण से मसंक्त सम्बम्हहितक मिध्यात असंम्बातगुणित पूर्वकोटी पक्व अधिक एक हजार सागरोपम निरन्तर सुबभवग्रहण मीदविक गुणस्थानमेवामाब | अल्पबहत्वाभाव पृथिवीकायिक स्थान मादि चार बनस्पतिकाविक अनन्तकालात्मक म्यात पुद्रलपरिवर्तन असंख्यात लोक मिथ्यारह मोधवत् | मोधवत् । मोषवत् मोधवत् सासादनसम्बम्हति सम्बग्मिध्याति मोधवत् पूर्वकोरिपृथक्त्व से अधिक दो हजार सागरोपम ३कार्यमार्गणा (असंवताविचार ।गुजस्थान निरन्तर अन्तर्मुहूर्त | सर्वगुणस्थान पंचेन्द्रियवत् तथा देशोन दो हजार सागरोपम ब्रसकाविक चारों उपशामक मोघवत् | मोमबत् औपशमिक चारों क्षपक सयोगिकेवली अबोगिकेबली पूर्वकोटिपृथकत्व से अधिक दो हजार सागरोपम मोपवत् क्षायिक निरन्तर मिध्वादृष्टि मसंवतसम्बददि मनोयोगी सक्तासंवत प्रमत्तसंक्त निरन्तर मोधवत्
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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