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________________ ३३० मार्गणास्थानों की अपेक्षा जीवों के अन्तर, भाव और अल्पबहुत्व का प्रमाण (पु.५, प्रस्ता . पृ.४३ आ) मार्गणा मार्गणा के अवान्तर भेद | नाना जीवों की अपेक्षा | एक जीव की अपेक्षा भाव जघन्य | उत्कृष्ट जघन्य ..(मिथ्यारह निरन्तर अन्तर्मुहूर्त | देशोन १,३,७, औदयिक नरकगति । असंयतसम्बम्हति ०,१७, २२, ३३ औप. क्षायिक. क्षायो. सम्यग्मिध्या. (सासावनसम्बम्हहि एक समय पल्योपम का असं-पल्योपम का असं. | सागरोपम पारिणामिक सम्बग्मिध्यारह ख्यातवां भाग | अन्तर्मुहूर्त क्षायोपशमिक मिध्यादृष्टि निरन्तर अन्तर्मुहूर्त देशोन तीन पल्योपम औवयिक तिर्यचगति सासादनादि ।चार गुणस्थान | ओघवत् | ओघवत् ओघवत् ओघवत् मिध्याष्टि निरन्तर अन्तर्मुहूर्त | देशोन तीन पल्योपम औदपिक (सासादनसम्बरहि ओघवत् । मोधवत् ओघवत् | पूर्वकोटीपृथक्त्व से पारिणामिक । सम्यग्मिध्यादृष्टि अधिक तीन पल्योपम क्षायोपशमिक असंयतसम्बम्हति अन्तर्मुहूर्त औप.क्षायिक. भायो. अल्पबहुत्व गुणस्थान प्रमाण सासावनसम्ब. 'सबसे कम संख्यातगुणित असंयतसम्ब. असंख्यातगुणित मिध्यारह संयतासंयत सबसे कम ओघवत् ओघवत् १ गतिमार्गणा शेष गुणस्थानवर्ती उपशापक अपूर्वकरण करण से प्रमत्त संयत तक संबतासंबत सासावनसम्म. सम्बम्मिध्या असंवतसम्य मिध्याति मनुष्यगति संख्यातगुणित क्षायोपशामिक संयतासंवत र प्रमत्तसंयत अधमत्तसंयत निरन्तर पूर्वकोटीपृथक्त्व ओघवत् ओघवत् औपशामिक असंख्यातगुणित (मनुष्यसामान्य) संख्यातगुणित (मनुष्यपर्याप्त) मोधवत् चारों उपशामक चारों क्षपक सबोगिकेवली अयोगिकेवली (मिध्वाधि । असंवतसम्यग्दृष्टि ओघवत् अन्तर्मुहूर्त | देशोन ३१ सागरोपम औदयिक औप. क्षायिक. क्षायो सबसे कम निरन्तर सासावनसम्म संख्यातगुणित देवगति ओघवत् सासावनसम्पति ओघवत् सम्यग्मिध्यारह | मोधवत् पारिणामिक क्षायोपशामिक असंयतसम्पति मिध्यारह असंख्यातगुणित एकेन्द्रिय निरन्तर भुवभवग्रहण औदयिक गुणस्थान-भेदाभाव २ इन्द्रियमार्गणा पूर्वकोटीपृथक्त्व से अधिक दो हजार सागरोपम अनन्तकालात्मक असंख्यात पुद्रल परिवर्तन विकलेन्द्रिय
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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