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________________ षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका ३२८ समाधान - किये गये अर्थ में और सुझाये गये अर्थ में कोई भेद नहीं है ।' अन्य लेश्या का आगमन' और 'अन्य लेश्या में गमन' कहने से अर्थ में कोई अन्तर नहीं पड़ता । मूल में भी दोनों प्रकार के प्रयोग पाये जाते हैं। उदाहरणार्थ - प्रस्तुत पाठ के ऊपर ही वाक्य है - 'हीयमाण-वड्डमाणकिण्हलेस्साए काउलेस्साए वा अच्छिदस्स णीललेस्सा आगदा' अर्थात् हीयमान कृष्णलेश्या में अथवा वर्धमान कापोतलेश्या में विद्यमान किसी जीव के नीललेश्या आ गई, इत्यादि। विषय-परिचय (पु. ५) जीवस्थान की आठ प्ररूपणाओं में से प्रथम पांच प्ररूपणाओं का वर्णन पूर्वप्रकाशित चार भागों में किया गया है। अब प्रस्तुत भाग में अवशिष्ट तीन प्ररूपणाएं प्रकाशित की जा रही हैं - अन्तरानुगम, भावानुगम और अल्पबहुत्वानुगम । १. अन्तरानुगम विवक्षित गुणस्थानवी जीव का उस गुणस्थान को छोड़कर अन्य गुणस्थान में चले जाने पर पुन: उसी गुणस्थान की प्राप्ति के पूर्व तक के काल को अन्तर, व्युच्छेद या विरहकाल कहते हैं। सबसे छोटे विरहकाल को जघन्य अन्तर और सबसे बड़े विरहकाल को उत्कृष्ट अन्तर कहते हैं । गुणस्थान और मार्गणास्थानों में इन दोनों प्रकारों के अन्तरों के प्रतिपादन करने वाले अनुयोगद्वार को अन्तरानुगम कहते हैं। पूर्व प्ररूपणाओं के समान इस अन्तरप्ररूपण में भी ओघ और आदेश की अपेक्षा अन्तर का निर्णय किया गया है, अर्थात् यह बतलाया गया है कि यह जीव किस गुणस्थान या मार्गणास्थान से कम से कम कितने काल तक के लिए और अधिक से अधिक कितने काल तक के लिये अन्तर को प्राप्त होता है। उदाहरणार्थ - ओघ की अपेक्षा मिथ्यादृष्टि जीवों का अन्तर कितने काल होता है ? इस प्रश्न के उत्तर में बताया गया है कि नाना जीवों की अपेक्षा अन्तर नहीं है, निरन्तर है। इसका अभिप्राय यह है कि मिथ्यात्वपर्याय से परिणत जीवों का तीनों ही कालों में व्युच्छेद, विरह का अभाव नहीं है, अर्थात् इस संसार में मिथ्यादृष्टि जीव सर्वकाल पाये जाते हैं। किन्तु एक जीव की अपेक्षा मिथ्यात्व का जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त काल प्रमाण है। यह जघन्य अन्तरकाल इस प्रकार घटित होता है कि कोई एक मिथ्यादृष्टि जीव परिणामों
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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