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________________ गुणस्थानों की अपेक्षा जीवों के क्षेत्र, स्पर्शन और काल का प्रमाण २८७ (पु.४ प्रस्ता . पृ. २९ अ) गुणस्थान मार्गणा के क्षेत्र स्पर्शन नाना जीवों की| काल |एक जीव की अपेक्षा अवान्तर भेद वर्तमानकालिक | अतीत अनागतकालिक अपेक्षा जघन्यकाल उत्कृष्टकाल क्रोधादिचतुष्कवायी | सर्वलोक सर्वलोक सर्वलोक सर्वकाल एकसमय अन्तर्मुहूर्त ६.कवावमार्गणा (लोकका असंख्यातवां भाग | लोकका असंख्यातवा भाग (लोकका असंख्यातवा भाग भकवायी लोकका असंख्यात बहुभाग र लोकका असंख्यात बहुभाग लोकका असंख्यात बहु भाग अन्तर्मुहूर्त और सर्वकाल | एकसमय || अन्तर्मुहूर्त, और (सर्वलोक सर्वलोक (सर्वलोक अन्तर्मुहूर्त || देशेन पूर्वकोटी वर्ष (कुमति-कुश्रुतज्ञानी सर्वकाल अन्तर्मुहूर्त देशेन अर्धपुद्रलपरिवर्तन विभंगवानी | लोकका असंख्याता भाग | लोकका असंख्यातवां भाग | देशोनराजु तेतीस सागरोपम सर्वलोक मति-श्रुत अवधि | लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यातवां भाग देशोनराजु साधिक ... Juमानमार्गणा ||मन:पर्ययज्ञानी | लोकका असंख्याता भाग लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यातवां भाग देशेन पूर्वकोटि वर्ष (लोकका असंख्याता भाग (लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यातवां भाग बलशानी Rलोकका असंख्यात बहुभाग (लोकका असंख्यात बहुभाग लोकका असंख्यातवां भाग देशेन पूर्वकोटि वर्ष (सर्वलोक (सर्वलोक सर्वलोक (सामायिक मावि | लोकका असंख्याता भाग | लोकका असंख्यातवां भाग | लोकका असंख्यातवां भाग जघन्य उत्कृष्ट | एकसमय अन्तर्मुहूर्त चार संयमी एकसमय अन्तर्मुहूर्त | अन्तर्मुहूर्त ८. संयममार्गणा || बधास्यातसंयमी एलोकका असंख्यात बहुभागलोकका असंख्यात बहुभाग लोकका असंख्यात बहुभाग अन्तर्मुहूर्त |, देशोन पूर्वकोटी वर्ष (सर्वलोक (सर्वलोक (सर्वलोक अन्तर्मुहूर्त संयमासंयमी लोकका असंख्यातवां भाग | लोकका असंख्यातवां भाग | देशोन राजु सर्वकाल देशोन पूर्वकोटीवर्ष (सर्वलोक (सर्वलोक सर्वलोक अर्धपुदलपरिवर्तन (अचक्षुदर्शनी अनन्तकाल भसंख्यात पुद्रलपरिवर्तन लोकका असंख्यातवां भाग| लोकका असंख्यातवा भाग | देशोन दो हजार सागरोपम साधिक तेतीस, अवधिवर्शनी (लोकका असंख्यातवां भाग | लोकका असंख्याता भाग | लोकका असंख्याता भाग केबलवर्शनी र लोकका असंख्यात बहुभाग लोकका असंख्यात बहुभाग लोकका असंख्यात बहु भाग देशोन पूर्वकोटी वर्ष (सर्वलोक सर्वलोक सर्वलोक असंयमी
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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