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________________ गुणस्थानों की अपेक्षा जीवों के क्षेत्र, स्पर्शन और काल का प्रमाण २८८ (पु.४प्रस्ता. पृ. २९ अ) गुणस्थान | मार्गणा के स्पर्शन नाना जीवों की| काल |एक जीव की अपेक्षा अवान्तर भेद वर्तमानकालिक |अतीत अनागतकालिका अपेक्षा जघन्यकाल उत्कृष्टकाल (सर्वलोक (सर्वलोक सर्वलोक सर्वकाल अन्तर्मुहूर्त | साधिक तेतीस सागरोपम (लोकका असंख्याता भाग | लोकका असंख्यातवा भाग देशोनराजु (सर्वलोक नील लोकका असंख्याता भाग | लोकका असंख्यातवा भाग वेशोन राजु साधिक सत्तरह सागरोपम (सर्वलोक कापोत लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यातवा भाग देशोन राजु | साधिक सात सागरोपम १०. लेश्यामार्गणा तेज लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्याता भाग | देशोन अंतएकसमय | साधिक दो सागरोपम लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्याता भाग| देशोन राजु साधिक मठारह सागरोपम (लोकका असंख्याता भाग लोकका असंख्यातवां भाग (देशोन राजु लोकका असंख्यात बहुभाग लोकका असंख्यात बहुभाग लोकका असंख्यातां भाग साधिक तेतीस सागरोपम (सर्वलोक सर्वलोक (सर्वलोक लोकका असंख्याता भाग | लोकका असंख्याता भाग| लोकका असंख्याता भाग अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त | अन्तर्मुहूर्त | अन्तर्मुहूर्त (लोकका मसंख्यातवां भाग (लोकका असंख्यातवां भाग (लोकका असंख्याता भाग ११. मध्यमार्गणा (भन लोकका मसंख्यात बहु.. Rलोकका असंख्यात बहुभागाला लोकका असंख्यात बहुभागलोकका मसंख्यात बहुभाग सर्वकाल देशोन अर्धपुलपरिवर्तन सर्वलोक । सर्वलोक ॥सर्वलोक सर्वलोक सर्वलोक सर्वलोक मीपशमिकसम्बकत्व लोकका असंख्यातवां भाग | लोकका असंख्यात भाग | देशोनराजु । (अन्तर्मुहूर्त पल्यो.असं.भाग अन्तर्मुहूर्त एकसमय अन्तर्मुहूर्त एकसमय | अन्तर्मुहूर्त -माबोपशमिक, | लोकका असंख्याता भाग | लोकका मसंख्यातवां भाग| केशोनराजु सर्वकाल अन्तर्मुहूर्त | साधिक म्यासठ सागरोपम (लोकका भसंम्बातचा भाग अन्तर्मुहूर्त | १२.सम्बकत्वमार्ग (साविक.. एलोकका असंख्यात बहभाग[एलोकका असंच्यात बहुभाग लोकका असंख्बात बहुभाग अन्तर्मुहूर्त | साधिक तेतीस सागरोपम (सर्वलोक सर्वलोक सर्वलोक सम्बग्मिध्याति लोकका मसंख्यातवां भाग लोकका असंख्याता भाग | देशोनराजु अन्तर्मुहूर्त पल्यो. असं.भाग अन्तर्मुहूर्त | लोकका भसंम्यातवां भाग | लोकळा असंख्याता भाग | देशोन मौर बु] एकसमय पल्यो.असं. भाग | एकसमय | अन्तर्मुहूर्त मिध्याति सर्वलोक सर्वलोक सर्वलोक सर्वकाल अन्तर्मुहूर्त | देशोन अर्धपुदलपरिवर्तन लोकका मसंख्यातवां भाग | लोकका असंख्याता भाग (देशोन सागरोपमशतपृथक्त्व १३. संशिमार्गणामसंकी सर्वलोक सर्वलोक सर्वलोक नभवग्रहण | अनन्तकाल मसंस्बात पुजलपरिवर्तन | २४. माहारमार्गमा (भाहरक अन्तर्मुहूर्त मेगुल के असंख्यात भाग्यमाज एकसमय असंख्यातासंस्थात उत्सर्पिणी अवसर्पिणी तीन समब, अन्तर्मत
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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