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________________ गुणस्थान १. गतिमार्गणा २. इन्द्रियमार्गणा ३. कार्यमार्गणा ४. योगमार्गणा 5. बेदमार्गणा मार्गणा के अवान्तर भेद नरकगति तियंचगति मनुष्यगति देवगति एकेन्द्रिय निकलत्रय पंचेन्द्रिय पांच स्थावरकायिक (असकायिक मनोयोगी वचनयोगी काययोगी स्त्रीवेदी पुरुषवेदी नपुंसकवेदी अपगतवेदी गुणस्थानों की अपेक्षा जीवों के क्षेत्र, स्पर्शन और काल का प्रमाण (पु. ४ प्रस्ता. पृ. २९ अ) स्पर्शन क्षेत्र लोकका असंख्यातवां भाग सर्वलोक लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यात बहुभाग सर्वलोक लोक का असंख्यातवां भाग सर्वलोक लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यात बहुभाग सर्वलोक सर्वलोक लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यात बहुभाग ( सर्वलोक लोका असंख्यातवां भाग लोका असंख्यातवां भाग -लोका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यात बहुभाग सर्वलोक लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यातवां भाग सर्वलोक लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यात बहुभाग सर्वलोक वर्तमानकालिक लोकका असंख्यातवां भाग सर्वलोक लोकका असंख्यातना भाग लोकका असंख्यात बहुभाग (सर्वलोक लोकका असंख्यतवां भाग सर्वलोक लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यातवां भाग अतीत अनागतकालिक देशोन १७ राजु (उत्कृष्ट) सर्वलोक देशोन १४ और १ राजु (उत्कृष्ट) सर्वलोक लोकका असंख्यात बहुभाग देशोन राजु, सर्वलोक सर्वलोक लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यातवां भाग सर्वलोक लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यात बहुभाग सर्वलोक सर्वलोक लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यात बहु,, (सर्वलोक लोकका असंख्यातवां भाग लोका असंख्यातवां भाग लोका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यात बहुभाग सर्वलोक सर्वलोक सर्वलोक देशान हुए राजु, सर्वलोक " देश " " " और १४ राजु सर्वलोक " 11 " (लोकक असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यात बहुभाग (सर्वलोक " "1 काल नाना जीवों की अपेक्षा सर्वकाल " 17 11 काल जघन्य उत्कृष्ट एकसमय, अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्ती सर्वकाल अर्न्तमुहूर्त जघन्यकाल अन्तर्मुहूर्त तेतीस सागरोपम " एक जीव की अपेक्षा उत्कृष्टकाल २८६ अनन्तकाल असंख्यात पगलपरिवर्तन तीन पल्योपम और पूर्वकोटी पृथक्त्व तेतीस सागरोपम क्षुद्रभवग्रहण अनन्तकाल असंख्यात पद्रलपरिवर्तन संख्यात हजार वर्ष अन्तर्मुहूर्त एक हजार सागरोपम पूर्व कोटिपृथक्त्व से अधिक क्षुद्रभवग्रहण अनन्तकाल असंख्यात पुद्रलपरिवर्तन अन्तर्मुहूर्त दो हजार सागरोपम पूर्व कोटिपृथक्त्व से अधिक एकसमय अन्तर्मुहूर्त · अन्तर्मुहूर्त पल्योपमशतपृथक्त्व सागरोपमशतपृथक्त्व अनन्तकाल असंख्यात पुद्रलपरिवर्तन अनन्तकाल असंख्यात पुद्रलपरिवर्तन अन्तर्मुहूर्त, देशोन पूर्वकोटि वर्ष
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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