SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 309
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८५ गुणस्थान गुणस्थानों की अपेक्षा से जीवों के क्षेत्र, स्पर्शन और काल का प्रमाण (पु.४ प्रस्ता . पृ. २९ अ) स्पर्शन काल नाना जीवों की अपेक्षा काल एक जीव की अपेक्षा वर्तमानकालिक अतीत अनागतकालिक जघन्यकाल । उत्कृष्टकाल सर्वलोक सर्वलोक सर्वकाल (सा.सां.मि.) अन्तर्मुहूर्त | देशोन अर्धपुरलपरिवर्तन १. मिध्याति सर्वलोक २. सासाचनसम्बधि लोक का असंख्यातवां भाग | लोक का असंख्यातवा भाग| एकसमय पल्यो.असं.भाग उदमावली ३. सम्बम्मिध्याति देशोन कि राजु | अन्तर्मुहूर्त | अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त ४. असंवतसम्बाद सर्वकाल साधिक तेतीस सागरोपम ५ संवतासंवत . देशोन पूर्वकोटी वर्ष लोक का असंख्याता भाग प्रमत्तसंवत ७. मनमत्तसंवत अन्तर्मुहूर्त ८. अपूर्वकरण (उप. एकसमय क्षपक अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त ९ अनिवृत्तिकत्व (उप. एक समय रक्षपक अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त (उप. एक समय रक्षपक अन्तर्मुहूर्त १०.सूक्ष्मसाम्पराब एक समय अन्तर्मुहूर्त एकसमय एकसमय अन्तर्मुहूर्त ११. उपशान्तकवाय १२. सीप मोह (लोकका असंख्यातवां भाग (लोकका असंख्यातवा भाग लोकका असंख्याता भाग १३. सयोगिकेचती लोकका असंख्यात बहुभाग Kलोकका असंख्यात बहुभाग लोकका असंख्यात बहुभाग । सर्वलोक र सर्वलोक र सर्वलोक १४ अयोगिकेवली |लोकका असंख्याता भाग | लोकका असंख्यातवां भाग | लोकका असंख्यातवा भाग सर्वकाल . देशोन पूर्वकोटी वर्ष अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy