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षट्खंडागम की शास्त्रीय भूमिका
बंधक के ११ अनुयोगद्वारों में पांचवां द्रव्यप्रमाणानुगम है वही जीवट्ठाण की संख्या प्ररूपणा का उद्गमस्थान है।
२. बंधविधान
प्रकृति १
स्थिति २
अनुभाग ३
प्रदेश ४
उत्तर
एकैकोत्तर
अव्वोगाढ
-१ समुत्कीर्तन २ सर्वबंध ३ नोसर्वे ५ अनुत्कृष्ट
४ उत्कृष्ट - १२ बंधस्वामित्व वि.
७ अजघन्य ६ जघन्य ९ अनादि ११ अध्रुव ८ सादि १० ध्रुव १५ बंधसन्निकर्ष १३ बंधकाल १४ बंधान्तर १६ भंगाविचय १७ भागाभाग २४ अल्पबहुत्वच १८ परिमाण २० स्पर्शन १९ क्षत्र २२ अन्तर २१ काल २३ भाव
बंधस्वामित्वविचय
खंड ३ १ २ ३ ४ ५ | प्रकृति स्थिति दंडक १ दंडक २ दंडक ३
जीवट्ठाण की पांच चूलिकाएं
भावप्ररूपणा (जीवस्थान का ७ वां
अधिकार)
अव्वोगाढ
भुजगार
प्रकृतिस्थान
सत्
संख्या
भाव अल्पबहुत्व
क्षेत्र स्पर्शन काल अन्तर जीवट्ठाण के छह अनुयोगद्वार