SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ षखंडागम की शास्त्रीय भूमिका ३. बंध विधान प्रकृति स्थिति अनुभाग प्रदेश उत्तर -१ अर्धच्छेद २ सर्व ३ नोसर्व ५ अनुत्कृष्ट ६जघन्य ७अजधन्य ८ सादि ९ अनादि १० ध्रुव ११ अध्रुव १२ स्वामित्व १३ काल १४ अन्तर १५ संनिकर्ष १६ भंग विचय १७ भागाभाग १८ परिमाण १९ क्षेत्र २० स्पर्शन २१ काल २२ अन्तर २३ भाव २४ अल्पबहुत्व 208 जघन्य जघन्यस्थिति चूलिका ६ उत्कृष्ट उत्कृष्टस्थिति चूलिका ७ ४ दृष्टिवाद (१२ वां अंग) परिकर्म सूत्र प्रथमानुयोग पूर्वगत चूलिका सम्यक्त्वोत्पत्ति चूलिका ८ ५ व्याख्याप्रज्ञप्ति (पांच अंग) गति आगति चूलिका ९ इन वंश-वृक्षों से षट्खंडागम का द्वादशांगश्रुत से सम्बंध स्पष्ट हो जाता है और साथ ही साथ उस द्वादशांग वाणी के साहित्य के विस्तार का भी कुछ अनुमान किया जा सकता है।
SR No.002281
Book TitleShatkhandagam ki Shastriya Bhumika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2000
Total Pages640
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy