________________ श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ दुनिया में कुछ वे लोग हैं, जो किसी भगवत्-पुरुष का दिन-रात नामस्मरण किया करते हैं। दूसरे वे हैं, जो महापुरुषों के बताए हुए पवित्र मार्ग पर चलते हैं। भगवान महावीर कहते हैं कि मुझे वे लोग अधिक प्रिय हैं जो मेरे शान्ति और अहिंसा के मार्ग पर निष्ठापूर्वक चलते हैं। मेरे संदेशों को जीना आखिर मेरी पूजा के समान ही है। भगवान श्री महावीर के 2600 वें जन्म-जयंती वर्ष पर स्वयं उन्हीं की पवित्र वाणी को प्रसारित करने से अधिक पुण्यकारी कृत्य और कौन सा होगा ! भगवान के उपदेश और आदेश तो वर्तमान की आवश्यकता है। जिनसूत्र का पारायण और प्रसारण घर-घर में सदाचार और सद्विचार की गंगा-यमुना पहुँचाने जैसा पुण्यकारी है। हम भगवान नन और आचमन तः रूपान्तरित श्री नाकोड़ा तीर्थ फैला -श्री चन्द्रप्रभ क श्री नाकोड़ा भैरूजी प्रकाशक : श्री जैन श्वे. नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ