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अभिधानचिन्तामणिः १ तत्रैकान्तसुषमाऽरश्चतस्रः कोटिकोटयः । ___ सागराणां २ सुषमा तु तिस्त्रस्तत्कोटिकोटयः ॥ ४३ ।। ३ सुषमदुःषमा ते द्वे ४ दुःषमसुषमा पुनः।
सैका सहस्रर्वर्षाणां द्विचत्वारिंशतोनिता ॥४४॥ ५ अथ दुःषमैकविंशतिरब्दसहस्राणि ६तावती तु स्यात् । ___ एकान्तदुःषमाऽपि ७ ह्येतत्सङ्ख्याः परेऽपि विपरीताः ॥ ४५ ॥ ८ प्रथमेऽरत्रये माविद्वयं कपल्यजीविताः । . त्रिद्वय कगव्यूतोच्छ्रायास्त्रिद्वय कदिनभोजनाः . ॥४६॥
कल्पद्रफलसन्तुष्टाः१. उनमें से 'एकान्तसुषमा' अर्थात् 'सुषमसुषमा' नामक 'अर'का प्रमाण चार सागर कोड़ाकोड़ी है ।।
२. 'सुषमा' नामक 'अर'का प्रमाण तीन सागर कोडाकोड़ी है.॥ . ३. 'सुषमदुःषमा' नामक 'श्रर'का प्रमाण दो सागर कोडाकोड़ी है ।।
४. 'दुःषमसुषमा' नामक 'अर'का प्रमाण बयालिस सहस्र (४२०००). कम एक सागर कोडाकोड़ी है ।। .
५. 'दु:षमा' नामक 'अर'का प्रमाण इक्कीस सहस्र ( २१०००)वर्षे है।।
६. 'एकान्तदुःषमा' अर्थात् 'दु:षमदुःषमा', नामक 'अर'का प्रमाण उतना ( २१००० वर्ष ) ही है ॥
७. 'उत्सर्पिणी' नामक कालके भी ये ६ 'अर' · विपरीत क्रमसे ( २१४२ के 'विमर्श में वर्णित क्रमसे ) इतने ही इतने ('अवसर्पिणी कालके अरोंके 'प्रमाण'के बराबर ही) प्रमाणवाले होते हैं । इस प्रकार ('अवसर्पिणी' तथा 'उत्सर्पिणी'के भेदसे ) दोनों तरहके कालका प्रमाण २० सागर कोडाकोड़ी होता है।
८. प्रथम तीन ('एकान्तसुषमा-सुषमसुषमा, सुषमा और दुःषमसुषमा') अरोंमें मनुष्योंकी आयु क्रमश: तीन, दो और एक पल्यकी होती है, वे (मनुष्य) क्रमशः तीन, दो और एक गव्यूत ऊँचे होते हैं, तीन, दो और एक दिनपर भोजन करते हैं और कल्पवृक्षके फलोंको खाते हैं।
विमर्श--'एकान्तसुषमा' (सुषमसुषमा ) नामक अरमें मनुष्योंकी आयु तीन पल्य तथा ऊँचाई तीन गव्यूत होती है और वे तीन दिनपर अर्थात् चौथे दिन भोजन करते हैं । 'सुषमा' नामक अरमें मनुष्योंकी आयु दो पल्य तथा ऊँचाई दो गव्यूत होती है और वे दो दिन पर अर्थात् तीसरे दिन भोजन करते हैं । 'दुःषमसुषमा' नामक अरमें मनुष्योंकी आयु एक पल्य तथा ऊँचाई एक गव्यूत होती है और वे एक दिन पर अर्थात् दूसरे दिन भोजन करते हैं । इन तीनों अरोंमें होनेवाले मनुष्य कल्पवृक्षके फलोंको खाते हैं। __ जैनसम्प्रदायके अनुसार प्रमाणके दो भेद हैं-१ लौकिक तथा २ लोकोत्तर । १मलौकिक प्रमाणके ६ भेद हैं-१ मान, २ उन्मान, ३ अवमान, ४ गणना, ५ प्रतिमान और ६ तत्प्रमाण । २य लोकोत्तर प्रमाणके ४ भेद हैं-१ द्रव्यप्रमाण, २ क्षेत्रप्रमाण, ३ कालप्रमाण और ४ भावप्रमाण ।