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________________ २२ . अभिधानचिन्तामणिः -१ उपाध्यायस्तु पाठकः । २ अनूचानःप्रवचने साङ्गेऽधीती गणिश्च सः ॥७॥ ३ शिष्यो विनेयोऽन्तेवासी ४ शैक्षः प्राथमकल्पिकः।। ५ सतीर्थ्यास्त्वेकगुरवो ६ विवेकः पृथगात्मता ॥७६ ॥ ७ एकब्रह्मव्रताचारा मिथः स्युर्ब्रह्मचारिणः । ८ स्यात्पारम्पयेमाम्नायः सम्प्रदायो गुरुक्रमः ॥८०॥ ६ व्रतादनं परिव्रज्या तपस्या नियमस्थितिः । . १० अहिंसासूनृतास्तेयब्रह्माकिञ्चनताः यमाः . ॥१॥ ११ नियमाः शोचसन्ताषौ स्वाध्यायतपसी अपि । देवताप्रणिधानश्च १२ करणं पुनरासनम् ॥२॥ १३ प्राणायामः प्राणयमः श्वासप्रश्वासरोधनम् । १. 'उपाध्याय ( पढ़ानेवाले ) के २ नाम है-उपाध्यायः, पाठकः ।। २. 'आचारादि अङ्गयुक्त प्रवचन (आगम ) को पढ़े हुए'के २ नाम हैं-अनूचानः, गणिः ।। ३. 'शिष्य, छात्र के ३ नाम है-शिष्यः, विनेयः, अन्तेवासी (-सिन् )। ४. 'प्रथम कल्पको पढ़नेवाले'के २ नाम हैं-शैक्षः, प्राथमकल्पिकः ।। ५. 'एक गुरुके पास पढ़नेवालों के २ नाम हैं-सतीर्थ्याः, एकगुरवः ॥ ६. 'विवेक'के २ नाम है-विवेकः, पृथगात्मता ॥ ७. एक समान शास्त्र पढ़नेवाले, व्रत करनेवाले और आचार रखनेवाले परस्परमें एक दूसरे के प्रति ) 'सब्रह्मचारी' (-रिन ) कहे जाते हैं ।। ८. 'सम्प्रदाय के ४ नाम हैं--पारम्पर्यम् , आम्नायः, सम्प्रदायः, गुरुक्रमः॥ ६. 'व्रत ग्रहण करने के ४ नाम हैं-व्रतादानम्, परिव्रज्या (+प्रव्रज्या), तपस्या, नियमस्थितिः ॥ . १०. अहिंसा, सूनृतम् ( प्रिय तथा सत्य वचन ), अस्तेयः (विना दिये किसीको कोई वस्तु नहीं लेना ), ब्रह्मचर्यम् ( अष्टविध मैथुनका त्याग ), अकिञ्चनता ( परिग्रहका त्याग )-इन पांचोंको 'यमाः' (अर्थात् 'यम') कहते हैं । ११. शौचम् ( शारीरिक तथा मानसिक शुद्धि ), सन्तोषः, स्वाध्यायः (अध्ययन, या प्रणवमंत्रका जप), तपः (-स । चान्द्रायणादि व्रतोंका पालन), देवताप्रणिधानम् ( देवोंका ध्यान )-इन पांचोंको 'नियमाः' (अर्थात् 'नियम' ) कहते हैं॥ १२. 'आसन' (सिद्धासन, पद्मासन आदि) के २ नाम हैं-करणम् , आसनम् ॥ १३. : 'प्राणायाम' श्वास लेने अर्थात् नाकसे बाहरी वायुको भीतर
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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