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'मणिप्रभा'व्याख्योपेतः त्रिनेत्रपञ्चेपुसप्तपलाशादिषु योजयेत् । .१ गुणशब्दो विरोध्यर्थं नबादिग्तिरोत्तरः ॥ १६ ॥
अभिधत्ते, यथा कृष्णः स्यादसितः सितेतरः। २ वार्ष्यादिषु पदे पूर्षे वडवाग्न्यादिषूत्तरे ॥ १७ ॥
द्वयेऽपि भूभृदायेषु पर्यायपरिवर्तनम् । . (-ज) और 'विषम' शब्दोंको 'त्रिनेत्रः, पञ्चेषुः, सप्तपलाशः' आदि पदोंमें जोड़ना चाहिए । अत एव–त्रिनेत्रः, अयुङनेत्रः, विषमनेत्रः' शब्द 'शिवजी'के; पञ्चेषुः, अयुगिषुः, विषमेषुः शब्द पांच बाणवाले 'कामदेव'के और 'सप्तपलाशः, अयुकपलाशः, विषमपलाशः' शब्द सात पत्तोवाले "सप्तपर्ण' (सतना, छितौना) के पर्याय होते हैं । 'सप्तादि' तथा 'पलाशादि' दोनों स्थलों में 'आदि' शब्द होनेसे—'नवशक्तिः, अयुकशक्तिः, विषमशक्तिः' शब्द नव शक्तियोंवाले “शिवजी'के और. व्यक्षः, अयुगक्षः, विषमाक्षः, ""शब्द तीन नेत्रोंवाले 'शिवजी'के; पञ्चबाण:, अयुग्बाणः, विषमबाण: शब्द पांच बाणोंवाले 'कामदेब'के तथा सप्तच्छदः, अयुकछदः, विषमच्छदः, सप्तपर्ण: शब्द सात पत्तोंवाले 'सप्तपर्ण के पर्याय बनते हैं । इसी प्रकार अन्यान्य पर्यायोंका भी प्रयोग करना चाहिए )॥
१. नआदि' अर्थात् 'नत्र पूर्वक' तथा 'इतरोत्तर ( 'इतर' शब्द जिसके बादमें रहे वह ) शब्द स्वविरोधीके अर्थको कहता है । क्रमशः उदा०–'असितः, सितेतरः शब्द 'सित' अर्थात् 'श्वेत'के विरीधी 'काले' अर्थमें प्रयुक्त हैं । इसी प्रकार-'अकृशः, कृशेतरः' शब्द 'कृश' अर्थात् 'दुर्बल' के विरोधी 'स्थूल' अर्थात् 'मोटा' अर्थमें प्रयुक्त होते हैं । ... .२. 'वाधिः' आदि शब्दोंमें 'पूर्वपद' ('वार' अर्थात् जल )में, 'वडवाग्नि' श्रादि शब्दोंमें 'उत्तरपद' (अग्नि' ) में तथा 'भूभृत्' आदि शब्दोंमें 'उभयपद' (पूर्व 'भू' तथा उत्तर 'भृत्'-दोनों ही ) में पर्यायका परिवर्तन होता है । (क्रमशः उदा.---"वाधिः, जलधिः, नीरधि, तोयधिः, पयोधि:,......." में 'वार' अर्थात् 'जल'वाचक पूर्व पदोंका परिवर्तन करनेसे उक्त शब्द 'समुद्र'के पर्याय बन जाते हैं । ('आदि' शब्दसे -जलदः, तोयदः, नीरदः, पयोद:", जलधरः, तोयधरः, नीरधरः, पयोधरः,.......शब्द 'जल'वाचक पूर्वपदके परिवर्तित होनेसे 'मेघ'के पर्याय बनते हैं )। 'वडवाग्निः , वडवानल:, वडवावह्निः,.......) इत्यादिमें 'अग्नि'वाचक उत्तरपदका परिवर्तन.करनेसे उक्त शब्द वडवाग्नि'के पर्याय बनते हैं । ( 'आदि' शब्दसे 'सरोजम्, सरोरुहम्,"...." में 'उत्तरपद'का परिवर्तन करने से उक्त शब्द 'कमल'के पर्याय बनते हैं )। एवम्-"भूभृत् , उर्वीभृत् , महीभृत् ,............” में पूर्वपदका परिवर्तन