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________________ ३५५ सामान्यकाण्ड: ६] 'मणिप्रभा'व्याख्योपेतः . -हीतहीणौ तु लज्जिते ।। १२० ।। रसंगूढः स्यात्संकलिते ३संयोजित उपाहिते। ४पके परिणतं पाके क्षीराज्यहविषां शृतम् ॥ १२१॥ . ६निष्पक्कं कथिते ७प्लुष्टप्रष्टदग्धोषिताः समाः। ८तनूकृते त्वष्टतष्टौ हविद्ध छिद्रितवेधितौ ॥ १२२ ॥ १०सिद्ध निवृत्तनिष्पन्नौ ११विलीने द्रुतविद्रुतौ । १२उतं प्रोते १३स्यूतमृतमुतश्च तन्तुसन्तते ॥ १२३ ।। :४पाटितं दारितं भिन्न १५विदरः स्फुटनं भिदा । १६अङ्गीकृतं प्रतिज्ञातमूरीकृतोरुरीकृते ॥ १२४ ।। संश्रुतमभ्युपगतमुररीकृतमाश्रुतम् । संगीण प्रतिश्रुतश्च- - १. 'लजाये ( शर्माये ) हुए'के ३ नाम हैं-ह्रोतः, ह्रीणः, लज्जितः ।। २. 'संकलित'के २ नाम हैं -संगृदः, संकलितः ।। ३. 'संयुक्त किये ( जोड़े हुए के २ नाम हैं-संयोजितः, उपाहितः ॥ ४. पके हुए के २.नाम है-पकम्, परिणतम् ।। ५. 'दूध, घी तथा हविष्यका पकाने (उवालने का नाम है-शृतम् ।। ६. 'अच्छी तरह पके हुए (अधिक उबालकर क्वाथ किये हुए ) के २ नाम है-निष्पकम्, कथितम् ।। ७. 'जले हुए के ४ नाम हैं--प्लुष्टः, प्रष्टः, दग्धः, उषितः ।। ८. (छीलकर ) पलला किये गये काष्ठ श्रादि'के ३ नाम हैं-तनूकृत; स्वष्टा, तष्टः, ॥ ६. 'छेदे गये काष्ठ, लोहे आदि'के ३ नाम हैं-विद्धः, छिद्रितः, धितः॥ १०. 'सिद्ध'के ३ नाम हैं-सिद्धम्, निवृत्तम्, निष्पन्नः ।। ११. पिघले हुए घृत आदि'के ३ नाम हैं-विलीनः, द्रतः, विद्रतः।। १२. 'बुने हुये कपड़े स्वेटर आदि'के २ नाम हैं-उप्तम् , प्रोतम् ॥ १३. 'सिले हुए कोट, कमीज, कुर्ते आदि के ४ नाम हैं-स्यूतम्, ऊतम् , उतम् , तन्तुसन्ततम् ॥ १४. 'फाड़े या चोरे हुए काष्ठ आदि के ३ नाम हैं-पाटितम , दारितम , भिन्नम ॥ १५ 'फटने या फूटने के २ नाम हैं-विदरः, स्फुटनम् , भिदा (+मित् , १६. 'स्वीकृत' के १० नाम हैं -अङ्गीकृतम् (+कक्षोकृतम् , स्वीकृतम् ),
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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