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अभिधानचिन्तामणिः
-१थ ॥५६॥ वातूलवात्ये वातानां गव्यागोत्रे पुनर्गवाम् । ३पाश्याखल्यादि पाशादेः ४खलादेः खलिनी निभाः ॥७॥ पूजनता बन्धुता प्रामता गजता सहायता जनादीनां दरथानान्तु स्याद्रथ्या रथकट्यया ॥ ५८॥ ७राजितेखा ततिर्वीथीमालाऽऽल्यावलिपङ्क्तयः । धोरणी भेण्युम्भौ तु द्वौ युगलं द्वितयं द्वयम ।। ५६॥ . युग द्वैतं यमं द्वन्द्वं युग्मं यमलयामले । . .. १०पशुभ्यो गोयुगं युग्मे परं
१. 'वायु ( हवा ) के समूह' अर्थात् 'श्रांधी'के २ नाम. है--वातूलः (पु), वात्या ( स्त्री)॥
२. गौओंके समूह'के २ नाम हैं--गव्या, गोत्रा ।।
३. पाश, खल प्रादि ('आदि' शब्दसे-तृण, धूम, ....... )के. समूहका क्रमशः १-१ नाम है-पाश्या, खल्या, आदि ('आदि' शब्दसे-'तृण्या, धम्या, ")।
४. 'खल आदि ('आदि' शब्दसे-कुटुम्ब,......) के समह'का १ नाम है-खलिनी, आदि ( 'आदि'से-कुटुम्बिनी,.....)।
५. 'जन, बन्धु, ग्राम, गज ( हाथी ) तथा सहायके समहो' का क्रमशः १-१ नाम है-जनता, बन्धुता, ग्रामता, गजता, सहायता ॥
६. 'रयोंके समूह'के २ नाम हैं-रम्या, रथकट्या ॥
७. श्रेणि, कतार के १० नाम है-राजिः (स्त्री), लेखा, ततिः,. वीथी, माला, आलिः, आवलिः ( २ स्त्री ), पक्तिः, धोरणी, श्रेणी ( स्त्री। +श्रेणिः, पु स्त्री)॥
८. 'दोनों (जिससे एक साथ दोका बोध हो-जैसे 'दोनो जाते हैं का १ नाम है-उभौ (नि. द्विव०)॥
६. 'दो, जोड़ा'के १० नाम हैं-युगलम्, द्वितयम्, द्वयम् ( ३ स्त्री न), युगम्, द्वैतम्, यमम्, द्वन्द्वम्, युग्मम्, यमलम्, यामलम् (+जकुटम् ) ॥ ____१०. एकजातीय किसी पशुके जोड़ों ( दो पशुओं ) को कहनेके लिए उस शब्दसे परे 'गोयुगम' शब्द लगाया जाता है। (यथा-'अश्वगोयुगम्, यहां 'दो घोड़े इस अर्थ में 'अश्वगोयुगम्' शब्दका प्रयोग हुआ है। इसी प्रकार (हस्तिगोयुगम,...") अर्थात् दो हाथी इत्यादि समझना चाहिए ।