________________
३४१
सामान्यकाण्ड: ६ ] . 'मणिप्रभा व्याख्योपेतः .
१उक्षादेरौक्षकं मानुष्यकं बा कमौष्ट्रकम् ।। ५२ ॥ स्याद्राजपुत्रकं राजन्यकं राजकमाजकम।। वात्सकौरभ्रके २कावचिकं कवचिनामपि ॥ ५३ ।। हास्तिकन्तु हस्तिनां स्या३दापूपिकाधचेतसाम् । ४धेनूनां धेनुकं धेन्वन्तानां गौधेनुकादयः ।। ५४ ॥ ५कैदारकं कैदारिक केदार्यमपि तद्गणे । ६ब्राह्मणादेाह्मण्य माणव्यं वाडव्यमित्यपि ॥ ५ ॥ जगणिकानान्तु गाणिक्य केशानां कैश्यकैशिके। अश्वानामाश्वमश्वीयं पशूनां पार्श्वमप्य
१. 'उक्षन् , मनुष्यों, वृद्धों, उष्ट्रों ( ऊंटों ), राजपुत्रों, राजन्यों (क्षत्रियजातीय राजकुमारों ), राजाओं, अजों ( बकरों ), वत्सों, उरभ्रों (भेड़ों)के समूह'का क्रमसे १-१-नाम है-औक्षकम, मानुष्यकम्, वाईकम, औष्ट्रकम्, राजपुत्रकम, राजन्यकम, राजकम, आजकम् , वात्सकम, औरप्रकम् ॥
२. 'कवचधारियों तथा हाथियोंके समूह'का क्रमसे १-१ नाम हैकावचिकम, हास्तिकम् ॥
३. 'अपूपों (पूत्रों) आदि अचित्त (चेतनाहीन ) वस्तुओंके समह'का 'आपूपिकम्' इत्यादि १-१ नाम है । ( 'आदि शन्दसे शकुलियों (पूड़ियों) के समहका 'शाकुलिकम', पर्वतोंके समूहका 'पार्वतिकम्' इत्यादि ५-१ नाम क्रमसे समझना चाहिए )॥
४. 'धेनुओं ( संकृत्प्रसूत गौओं) तथा 'धेनु' शब्दान्त 'गोधेनु' इत्यादिके समहोका क्रमश: 'धैनुकम्, गौधेनुकम्' इत्यादि १-१ नाम हैं।
५. 'केदारों ( खेतों, क्यारियों )के समह'के ३ नाम है-कैदारकम्, कैदारिकम्, कैदायम् ॥ .
६. 'ब्राह्मणों, माणवों (बालकों ) तथा वडवाओं (घोड़ियों )के समह का क्रमशः १-१. नाम है. ब्राह्मण्यम, माणव्यम, वाडव्यम् ।।
७. गणिकाओं ( वेश्याओं )के समूह'का १ नाम है-गाणिक्यम् ॥
८. 'केशों तथा अश्वोंके समूह'के क्रमशः २-२ नाम है-कश्यम्, कैशिकम; आश्रम, अश्वीयम् ॥
६. 'पशुओं' (फरसों )के समूह'का १ नाम है--पार्श्वम् ।
विमर्श-समह अर्थ में प्रयुक्त पूर्वोक्त (६ । ५१) शौकम् इत्यादिसे यहांतक सब शन्द नपुंसक लिङ्ग हैं ।