________________
३४०
अभिधानचिन्तामणिः
-र्शनकायस्तु सधर्मिणाम् । २वर्गस्तु सदृशां स्कन्धो नरकुञ्जरवाजिनाम् ।। ४६ ॥ ४प्रामो विषयशब्दास्त्रभूतेन्द्रियगुणाद् व्रजे। ५समजस्तु पशूनां स्यात् ६समाजस्त्वन्यदेहिनाम ।। ५० ॥ शुकादीनां गणे शौकमायूरतैत्तिरादयः । भिक्षादेर्भेक्षसाहस्रगाभिणयौवतादयः ॥५१॥ गोत्रार्थप्रत्ययान्तानां स्युरौपगवकादयः ।
१. 'समान धर्म या शीलवालोंके समुदायका १ नाम है -निकायः ( यथा-वैयाकरणनिकाय:, देवनिकायः,......... ) ॥
२. 'समान जातिवाले जीवों तथा निर्जीवों के समूह'का ? नाम हैवर्गः । ( यथा-ब्राह्मणवर्गः, अरिषडवर्गः, त्रिवर्गः, कवर्गः, चवर्ग:........ ) । ___३. 'मनुष्यों, हाथियों' और घोड़ोंके समूहका १ नाम हैं-स्कन्धः ॥
४. 'विषय, शब्द, अस्त्र, भूत, इन्द्रिय और गुण शब्दोंके बाद में प्रयुक्त 'ग्राम' शब्द उन 'विषय' श्रादिके समूह का वाचक होता है । ( यथाविषयग्रामः, शब्द ग्रामः, अस्त्रग्रामः, भूतग्रामः, इन्द्रियग्रामः और गुणग्रामः) अर्थात् विषयोंका समूह, शब्दोंका समूह.........")।
५. 'पशु के समूह'का १ नाम है-ममनः । (यथा--समज:... ||
६. 'दूसरे प्राणियों के समूह'का १ नाम है-समाजः। (यथाब्राह्मणसमाज:, श्रोत्रियसमाजः, आर्यसमाज:,"..." )॥ ___७. 'सुग्गे, मोर और तीतर आदि ('श्रादि' शब्दसे 'कबूतर इत्यादिके समूह'का क्रमशः १-१ नाम है-शौकम्, मायूरम् , तैत्तिरम्, श्रादि ( 'यादि' शब्दसे—'कापोतम्,..... ) ॥ .
८. 'भिक्षानो, सहस्रों, गर्भिणियों तथा युवतियोंके समूह'का क्रमशः १-१ नाम है-मैतम्, साहस्रम्, गार्भिणम्, यौवतम् ।।
६. 'गोत्र अर्थमें किये गये प्रत्यय जिन शब्दोंके अन्तमें हे', उन ('श्रौपगव' इत्यादि ) शब्दोंके समूह'का 'औपगवकम्' इत्यादि १-१ नाम है।
विमर्श-उपगोर्गोत्रापत्यम्, ( 'उपगुका गोत्रापत्य ) इस विग्रह में गोत्र अर्थमें 'उपगु' शन्दसे 'अण' प्रत्यय करनेपर 'श्रौपगवः' शब्द सिद्ध होता है, उन 'औपगवो' के समहका 'श्रौपगवकम्' यह १ नाम है। ऐसा जानना चाहिए । इसी प्रकार 'आदि' शब्दसे 'गर्ग' शब्दसे गोत्रार्थक 'या' प्रत्यय करनेपर गार्ग्य' शब्द सिद्ध होता है, उन 'गाग्र्यों के समूहका 'गार्गकम्' यह १ नाम होगा । इसी क्रम से अन्यत्र भी जानना चाहिए ।