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सामान्यकाण्डः ६] . मणिप्रभा'व्याख्योपेतः
- -१षत्वे तु षड्गवम् ॥ ६०॥ २परःशवाद्यास्ते येषां परा सङ्ख्या शतादिकात् । ३प्राज्यं प्रभूतं प्रचुरं बहुलं बहु पुष्कलम् ।। ६१ ॥ भूयिष्ठ पुरुहं भूयो भूर्यदभ्रं पुरु स्फिरम् । ४स्तोकं तुल्लं तुच्छमल्पं दभ्राणुतलिनानि च ।। ६२॥ तनु क्षुद्रं कृशं पसूक्ष्म पुनः श्लदणञ्च पेलवम् । ६टौ मात्रा लवो लेशः कणो ७हस्वं पुनलघु ॥ ६३ ॥ ८अत्यल्पेऽल्पिष्ठप्रल्पीयः कनीयोऽणीय इत्यपि । दीर्घायते समे- .
१. एक जातिकाले ६ पशुओंके समहको कहने के लिए उस पशुवाचक शब्दके बाद 'पनवम' प्रत्यय जोड़ दिया जाता है। (यथा-६ हाथी, ६ घोड़े आदिको कहनेके लिए हाथी तथा घोड़ेके पर्यायवाचक 'गज तथा अश्व' आदि शब्दके बादमें "पङ्गवम्” बोड़ देनेपर 'गनषङ्गवम्, अश्वषनवम्' आदि शब्दका प्रयोग होता है। इसी प्रकार अन्यत्र भी समझना चाहिए )॥
२. 'शत' ( सौ से अधिक संख्या कहने के लिए 'शत' शब्दके पहले 'परः' शब्द जोड़कर 'परःशताः' (त्रि.) शब्दका प्रयोग होता है। (परःशता गमाः अर्थात् सौसे अधिक हाथी) इसी प्रकार 'सहस, लक्ष..", शन्दोंके साथ. 'परः' शब्द जोड़नेसे परःसहस्साः, परोलक्षाः ( क्रमश:-हबारसे तथा लाख से अधिक) इत्यादि. शन्द प्रयुक्त होते हैं ।
३. 'प्रचुर, काफी'के १३ नाम हैं-प्राज्यम् , प्रभूतम्, प्रचुरम् , बहुलम्, बहु, पुष्कलम् , भूयिष्ठम् , पुरुहम् , भूयः (- यस्), भूरि, अदभ्रम् , पुरु, स्फिरम् ॥
४. 'थोड़े के १० नाम हैं-स्तोकम् , तुल्लम् , तुच्छम् , अल्पम् , पभ्रम् , अणु, तलिनम्, तनु, तुद्रम् , कृशम् ।
५. 'सूक्ष्म या चिकने के ३ नाम हैं-सूक्ष्मम् , श्लक्ष्णम् , पेलवम् ॥
६. 'लेश, अत्यन्त कम'के ५ नाम है-त्रुटिः (स्त्री), मात्रा, लवः, लेयः, कणः ( पु स्त्री ) ॥ ____७. 'छोटे'के २ नाम हैं-हस्वम् , लघु ॥
८. 'बहुत थोड़े के ५ नाम है-अत्यल्पम् , अल्पिष्ठम् , अल्पीयः, कनीयः (+कनिष्ठम् ), अणीयः (३ - यस्)॥
६. 'लम्बे'के २ नाम हैं-दीर्घम् , आयतम् ।।