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________________ तिष काण्डः ४ ] 'मणिप्रभा' व्याख्योपेतः १ वर्षो गजो बालः स्यात्पोतो दशवर्धकः ॥ २८५ ॥ विक्को विंशतिवर्षः स्यात्कलभस्त्रिशदब्दकः । यूथनाथो यूथपतिर्मत्त प्रभिन्नगर्जितौ ॥ २८६ ॥ ४ मदोत्कटो मदकलः - ५ समावुद्वान्तनिर्मदौ । ६सज्जितः कल्पित७स्तिर्यग्घाती परिणतो गजः ।। २८७ ।। व्यालो दुष्टगजो गम्भीरवेद्यवमताङ्कशः । १० राजवाह्य तूपवाह्यः ११ सन्नाह्यः समरोचितः ॥ २८८ ॥ १२उदग्रदन्नीषादन्तो १३ बहूनां घटना घटा । १४मदो दानं प्रवृत्तिश्च १५ मथुः करशीकरः ॥ २८६ ॥ १. पाँच, दस, बीस् और तीस वर्षकी अवस्थावाले १ - १ नाम है - बालः, पोतः, विकः, कलमः ॥ २६७ हाथियों' का क्रमशः २. 'यूथ के स्वामी' के २ नाम हैं — यूथनाथ:, यूथंपतिः ॥ ३. ' जिसका मद बह रहा हो, उस हाथी के ३ नाम हैं - मत्तः, प्रभिन्नः, -गजितः ॥ ४. 'मतवाले हाथी' के २ नाम हैं-मदोत्कटः, मदकलः ॥ ५. 'जिस हाथीका मद चूकर समाप्त हो गया हो, उसके २ नाम हैंउद्वान्तः, निर्मदः ॥ ६. 'युद्ध के लिए तैयार किये गये हाथी' के २ नाम हैं —सज्जितः, कल्पितः ॥ ७. 'दाँतसे तिच्र्च्छा प्रहार किये हुए हाथी' का १ नाम है - परिणत: ।। ८. 'दुष्ट हाथी' के २ नाम हैं - व्यालः, दुष्टगजः ॥ ६. 'अङ्कश प्रहार से भी नहीं मानने ( वशमें आने वाले हाथी' के २ नाम हैं- गम्भीरवेदी ( - दिन्), अवमताङ्क ुशः ॥ १०. 'जिंस हाथीपर राजा सवारी करें, उसके २ नाम हैं - राजवाह्यः, उपवाहयः (+औपवाहयः ) || ११. 'युद्ध के योग्य हाथी' के २ नाम हैं - सन्नाहयः, समरोचितः ।। १२. 'हरिस ( हलके लम्बे डण्डे ) के समान बड़े-बड़े दाँतवाले हाथी के २ नाम हैं – उदग्रदन् ( - दतृ ), ईषादन्तः ॥ १३. " बहुत हाथियों के झुण्ड'का १ नाम है- घटा ॥ १४. 'हाथीके मद' के ३ नाम हैं--मदः, दानम्, प्रवृत्तिः ॥ १५. 'हाथी के सूंड से निकलनेवाले जलकण' के २ नाम हैं - वमथुः ( पु ), करशीकरः ॥
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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