________________
अभिधानचिन्तामणि:
२६२
२तुद्रकीटो बहिर्भवः ।
१ नीलङ्गः कृमिरन्तर्जः ३ पुलकास्तूभयेऽपि स्युः ४ कीकसाः कृमयोऽणवः ।। २६८ ।। ६गण्डूपदः किन्न्चुलकः कुसूः ।
शिल्य - रूपा जलौकसः ॥ २६६ ॥
५ काष्टकीटो घुणो भूलता जगण्डूपदी तु जलालोका जलूका च जलौका जलसर्पिणी । मुक्तास्फोटोsब्धिमण्डूकी शुक्तिः १० कम्बुस्तु वारिजः || २७० || त्रिरेखः षोडशावर्त्तः शङ्खो ११ऽथ क्षुद्रकम्बवः ।
शङ्खनकाः क्षुल्लकाच
-
वनस्पतिकाय समास ।
एकेन्द्रिय जीवन समाप्त ||
१. ( ४ । १ से प्रारम्भ किया गया पृथ्वी आदि एकेन्द्रिय नीवोका वर्णनकर अब ( ४ | २७२ तक ) द्वीन्द्रिय ( दो इन्द्रियोवाले जीवोंका वर्णन करते हैं—) 'शरीर के भीतर उत्पन्न होनेवाले छोटे-छोटे कीड़ोंका १ नाम हैनीलङ्गः ( पु ) ॥
२. 'शरीर' के बाहर उत्पन्न होनेवाले छोटे २ कीड़ों' का १ नाम हैक्षुद्रकीट : ( पु स्त्री)
३. 'शरीर के भीतर तथा बाहर उत्पन्न होनेवाले दोनों प्रकारके छोटे-छोटे कीड़ों' का नाम है - पुलका : ।।
४. 'छोटे कीड़ों' का नाम है - कीकसाः ॥
५. 'घुन' के २ नाम हैं- काष्ठकीटः, घुण: ।।
६. 'केंचुश्रा नामक कीड़े' के ४ नाम हैं - गण्डूपदः, किञ्चुलकः ( + किञ्चुलुक: ), कुसूः, भूलता ॥
७. 'केंचुए की स्त्री या केचुआ जातीय छोटे कीड़े' के २ नाम हैं - गण्डूपदी, शिली ॥
८. 'जोंक’के ६ नाम हैं— श्रस्रपा ( + विचका ), जलौकस: ( - कस्, नि स्त्री, त्र० व० ), जलालोका, जलूका, जलौकाः, जलसर्पिणी ||
६. 'सीप' के ३ नाम हैं— मुक्तास्फोट:, अब्धिमण्डूकी, शुक्ति: (स्त्री) | १०. 'शङ्ख' के ५ नाम हैं - कम्बु: ( पु न ), वारिज: ( + जलज:, अब्ज : ), त्रिरेखः, पोडशावर्त्तः, शङ्खः ( पु न ) ॥
११. 'छोटे-छोटे शङ्खों ( नदी आदिमें उत्पन्न होनेवाले छोटे-छोटे कीटो ) नाम हैं - क्षुद्रकम्बवः (म्बु: ), शङ्खनकाः, क्षुल्लकाः ||