SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 338
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 'तिर्यक्काण्ड: ४] 'मणिप्रभा'व्याख्योपेतः २६३ शम्बूकास्त्वम्बुमात्रजाः ॥२७१ ॥ २कपर्दस्तु हिरण्यः स्याल्पणास्थिकवराट को ।। ३दुर्नामा तु दीर्घकोशा ४पिपीलझस्तु पोलका ।। २७२ ।। ५पिपीलिका तु हीनाङ्गी ब्राह्मणी स्थूलशोषिका। घृतेली पिङ्गकपिशाऽथोपजिह्वापदेहिका ।। २७३ ।। वम्र युपदीका हरिक्षा तु लिक्षा १०यूका तु षट्पदी। ११गोपालिका महामोरु१२गोमयोत्था तु गर्दभी ।। २७४ ॥ १३मत्कुणास्तु कोल कुण उद्दशः किटिभोत्कुणौ । १. 'घोघा । दोहना). या पानीमें ही उत्पन्न होनेवाली सब प्रकारकी सीप'के २ नाम हैं-शम्बूकाः (+शम्बुकाः ), अम्बुमात्रजाः ॥ २. 'कौड़ी'के ४ नाम हैं-कर्पदः, हिरण्यः (पु न ), पणास्थिकः, वराटकः ।। . . शेषश्चात्र-'स्यात्त श्वेतः कपर्दके ।" ३. 'घोंघा या जोंकके समान एक जलचर जीव-विशेष'के २ नाम हैंदुर्नामा ( - मन् ।+दुःसंशा ), दीर्घकोशा ॥ . . ॥ द्वीन्द्रिय जीव वर्णन समाप्त ॥ ४. ( अब यहांसे ४।२७५ तफ त्रीन्द्रिय अर्थात् तीन इन्द्रियवाले जीवोंका वर्णन करते हैं-) 'चीटा, मकोड़ा'के २ नाम है-पिपीलकः, पीलकः॥ ५. 'चीटी'के २ नाम हैं-पिपीलिका, हीनाङ्गी ॥ ६. एक प्रकारको बिहनी (भिड़ )-विशेष के २ नाम हैं-बामणी, . स्थूलशीषिका ॥ ७. 'तेलचटा'के २ नाम हैं-घृतेली, पिङ्गकपिशा॥ ८. 'दीमक'के ४ नाम है-उपजिहा, उपदेहिका, वम्री, उपदीका ॥ ६. 'लीख के २ नाम है-रिक्षा, लिक्षा । १०. 'जूके २ नाम है-यूका, षटपदी॥ ११. 'ग्वालिन नामक कीड़े ( यह बरसातमें एक स्थान पर ही अधिक उत्पन्न होते हैं, इसे 'अहिरिन या गिजनी' भी कहते हैं ) के २ नाम हैगोपालिका, महाभीरुः ॥ १२. 'गोबरौरा (गोबरमें उत्पन्न होनेवाले कीड़े ) के २ नाम है-गोमयोत्था, गर्दभी॥ १३. 'खटमल, उड़िस'के ५ नाम है-मस्कुणः, कोलकुणः, उदशः, किटिभः (+किदिभः ), उत्कुणः ॥
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy