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________________ अभिधानचिन्तामणिः १छागणस्तु करीषाग्निः कुकूलस्तु तुषानलः ॥ १६७ ॥ ३सन्तापः संज्वरो ४बाष्प ऊष्मा ५जिह्वाः स्युरर्चिषः। ६हेतिः कीला शिखा ज्वालार्चिछरुल्का महत्यसौ ॥ १६८ ॥ स्फुलिङगोऽग्निकणोहऽलातज्वालोल्का१०ऽलातमुल्मकम् । ११धूमः स्याद्वायुवाहाऽग्निवाहो . दहनकेतनम् ॥ १६६ ।। अम्भःसूः करमालश्च स्तरीर्जीमूतवाह्यपि। १२तडिदैरावती विद्युच्चला शम्पाऽचिरप्रभा ॥ १७० ।। आकालिकी शतदा चञ्चला चपलाऽशनिः ।। सौदामनी क्षणिका च हादिनी जलवालिका ॥ १७१ ॥ १. 'सूखे गोबर (गोइंठा, उपला, कण्डा )की श्रागके. २ नाम हैं-छागणः, करीषाग्निः ॥ २. 'भूसेकी आग ( भभूल, भौर ) के २ नाम है --- कुकूलः (पु न ), . तुषानल: (तुषाग्निः )॥ ३. 'संतापके २ नाम हैं-सन्तापः, संज्वरः ।। ४. 'बाष्प, भापके २ नाम हैं-बाष्पः (पु न ), ऊष्मा (-मन् , पु)॥ ५. 'श्रागकी ज्वाला' उसकी जिह्वा ( जीभ ) है । विमर्श–'अग्निकी सात जिह्वाएं ( जी. ) हैं-हिरण्या, कनका, रक्ताकृष्णा, वसुप्रभा, कन्या, रक्ता और बहुरूपा ॥' ६. 'ज्वाला'के ५ नाम हैं-हेतिः, कीला (स्त्री पु), शिखा, ज्वाला (पु स्त्री), अर्चिः (-र्चिस , स्त्री न )॥ ७. 'उल्का (आगकी बहुत बड़ी ज्वाला )का १ नाम है-उल्का ॥ ८. 'चिनगारी'का १ नाम है-स्फुलिङ्ग (त्रि)॥ ६. 'बनेठी ( लुआठी आदि )के धुमानेसे बनी हुई मण्डलाकार ज्वाला अथवा 'कभी २ श्राकाशसे गिरनेवाले उत्पातसूचक तेजःपुञ्ज'का १ नाम हैउल्का ।। १०. 'बनेठी या लुआठी'के २ नाम है-अलातम्, उल्मुकम् ।। ११. 'धूम, धूश्रा'के पाठ नाम हैं-धूमः, वायुवाहः, अग्निवाहः, दहनकेतनम्, अम्भःसूः, करमालः, स्तरीः (स्त्री ) जीमूतवाही (- हिन)। १२. 'बिजली' के १५ नाम है-तडित् (स्त्री), ऐरावती, विद्यत् (स्त्री), १ तदुक्तम्-"भवति हिरण्या कन्यका रताकृष्णा वसुप्रभा कन्या । रका बहुरूपेति सप्तार्चिषां जिहाः ॥" इति ।
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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