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________________ २५० पापा अभिधानचिन्तामणिः. -१ऽनिस्तु कोणोऽणिः कोटिः पाल्यस्र इत्यपि । २आरोहणन्तु सोपानं ३निःश्रेणिस्त्वधिरोहणी ।। ७६ ॥ ४स्थूणा स्तम्भः ५सालभजी पाश्चालिका च पुत्रिका। काष्ठादिघटिता ६लेप्यमयी त्वञ्जलिकारिका ।। ८०॥ . ७नन्द्यावर्त्तप्रभृतयो विच्छन्दा आढयवेश्मनाम् । समुद्गः सम्पुटः पेटा स्यान्मञ्जूषा१०ऽथ शोधनी ।। ८१ !! . सम्माजजी बहुकरी वर्धनी च समूहनी । ११सङ्करावकरौ तुल्या१२वुदूखलमुलूखलम् ।। २२॥ ... १३प्रस्फोटनन्तु पवन१४मवघातस्तु कण्डनम् ।। १. 'घरके कोने आदि के ६ नाम हैं-अभिः (स्त्री), कोणः, अणिः (पु स्त्री ), कोटि; ( स्त्री), पाली, अस्रः ।। २. 'सीढ़ी के २ नाम हैं-आरोहणम् , सोपानम् ॥ ३. 'काठ आदिकी सीढ़ी'के २ नाम हैं-निःश्रेणि: (स्त्री), अधिरोहणी ।। ४. 'खम्भे'के २ नाम हैं-स्थूणा, स्तम्भः ॥.. ५. 'काठ, पत्थर या हाथीदांत आदिकी मूर्ति स्टेचू'के ३ नाम हैंसालभञ्जी, पाञ्चालिका, पुत्रिका ॥ ६. 'रंग श्रादिसे बनायी गयी मूर्तिका १ नाम है-अञ्जलिकारिका ॥ ७. विशिष्ट ढंगसे बने हुए धनवानोंके गृहों के 'नन्द्यावतः' आदि ('आदि' शब्दसे 'स्वस्तिकः, सर्वतोभद्रः' आदि ) नाम हैं । विमर्श-चारो ओरसे द्वार तथा तोरणवाले घरको 'स्वस्तिकः', अनेक मझिलवाले घरको 'सर्वतोभद्रः', गोलाकार घरको 'नन्द्यावर्तः', और सुन्दरतम घरको 'विच्छन्दः' कहते हैं ।। ८. 'डन्बे के २ नाम हैं-समुद्गः, सम्पुटः ।। ६. 'झापी'के २ नाम हैं-पेटा (+पेटकः ), मञ्जूषा ।। १०. 'झाड़'के ५ नाम है-शोधनी (+पवनी), संमार्जनी, बहुकरी (पु स्त्री), वर्धनी, समूहनी ।। ११. 'कूड़े-करकट के २ नाम हैं-सङ्करः, अवकरः ।। १२. 'ओखली'के २ नाम हैं-उन खलम् , उलूखलम् ।। १३. 'फटकने के २ नाम हैं-प्रस्फोटनम् , पवनम् ॥ १४. 'कूटने के २ नाम हैं-अवघातः, कण्डनम् ॥
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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