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तिर्यककाण्ड: ४] मणिप्रभा'व्याख्योपेतः
२४६ गोपानसी तु · बलभीच्छादने वक्रदारुणि । २गृहावग्रहणी देहल्युम्बरोदुम्बरोम्बुराः ।। ७५ ।। ३प्रघाणः प्रघणोऽलिन्दो बहिरप्रकोष्ठके । ४कपोतपाली विटङ्कः पटलच्छदिषी समे ॥ ७६ ॥ ६नीव्र वलीक तत्प्रान्त ७इन्द्रकोशस्तमङ्गकः। ८वलभी छदिराधारो नागदन्तास्तु दन्तकाः ।। ७७ ।। १०मत्तालम्बोऽपाश्रयः स्यात्प्रग्रीवो मत्तवारणे । ११वातायनो गवाक्षश्च जालके१२ऽथान्नकोष्टकः ।। ७८ ॥
कुसूलोमत है कि द्वारशाखाके ऊपर तथा नीचे दी हुई लकड़ी ( कुर्सी ) को 'शिलानासा' कहते हैं॥ ___ १. 'धरन (छप्परको छानेके लिए लगायी गयी लकड़ी )'का १ नाम है-गोपानसी ॥
२. 'देहली, पटडेहर के. ५ नाम हैं-गृहावग्रहणी, देहली, उम्बरः, उदुम्बरः, उम्बुरः ।। .
३. द्वारके नीचेवाले चौकठके नीचे लगाये गये चौड़े पत्थर श्रादि के ३ नाम हैं-प्रघाण:, प्रघणः, अलिन्दः ।.
४. 'कबूतरोका दरबाके २ नाम हैं-कपोतपाली, विटङ्कः (पु न)।
५. 'छप्पर'के २ नाम हैं-पटलम् (त्रि), छदिः (- दिस् , स्त्री)
६. 'ओरी'के २ नाम हैं-नीव्रम् , वलीकम् (न पु)॥
७. 'सभादिमें भाषणादिके लिए ऊँचे बनाये गये मंच'के २ नाम हैइन्द्रकोशः (+इन्द्रकोषः ), तमङ्गकः (+मञ्चकः)॥
८. 'छप्परके नीचेवाले बांस श्रादि-कोरो, ठाट या छज्जा'का १ नाम है-वलभी (+वलभिः)॥ . . . ____६. 'खूटी' के २ नाम है-नागदन्तः, दन्तकः॥
१०. 'मकानके चारो ओर बने हुए लकड़ी आदिका घेरा या झरोखा, खिड़की के ४ नाम हैं-मत्तालम्बः, अपाभयः, प्रग्रीवः (पुन ), मत्तवारणः॥
११. 'जंगलां, खिड़की के ३ नाम हैं-वातायनः (पु न ), गवाक्षः, बालकम् ॥ ..
१२. 'कोठिला, भांड'के २ नाम है-अन्नकोटका, कुसूल: (+कुशूलः)॥