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अभिधानचिन्तामणिः
-रजिरं प्रागणं चत्वराजाने । खलज प्रतीहारो द्वाारे३ऽथ परिघोऽर्गला ॥ ७० ॥ ४साल्पा त्वर्गलिका सूचिः कुश्चिकायान्तु कूचिका । साधारण्यङ्कटश्चासौ ६ द्वारयन्त्रन्तु तालकम् ॥७१ ॥ ७अस्योद्घाटनयन्त्रन्तु ताल्यपि प्रतिताल्यपि । पतिर्यग्द्वारोवंदारूत्तरङ्ग स्यादरं पुनः ॥७२॥ कपाटोऽररिः कुवाट: १०पक्षद्वारन्तु पक्षकः। ११प्रच्छन्नमन्तारं स्याद् १२बहिारन्तु तोरणम् ।। ७३ ॥ १३तोरणोर्चे तु मङ्गल्यं दाम वन्दनमालिका । १४स्तम्भादेः स्यादधोदारौ शिला १५नासोर्ध्वदारुणि ॥ ७४ ॥
१. 'श्रांगन'के ४ नाम हैं-अजिरम् , प्राङ्गणम् (+ अङ्गणम् ), चत्वरम्, अङ्गनम् ॥ - २. 'द्वार'के ४ नाम हैं-वलजम् , प्रतीहारः, द्वाः (द्वार स्त्री), द्वारम् ।।
३. किल्ली, पागल'के २ नाम हैं—परिघः, अर्गला (त्रि ) ।। . ४. 'छोटी किल्ली, आगल' के २ नाम है-अर्गलिका, सूचिः ।। ५. 'कूची के ४ नाम है-कुञ्चिका, कूचिका, साधारणी, अङ्कटः॥ ६. 'ताला'के २ नाम हैं-द्वारयन्त्रम् , तालकम् ॥ . . ७. 'ताली, चाभी'के २ नाम है-ताली, प्रतितालो ।। ८. 'द्वारके ऊपर तिर्की लगी हुई लकड़ी'का १ नाम है-उत्तरङ्गम् ।।
६. 'किवाड़ के ४ नाम हैं-अररंम् , ' कपाट:, (त्रि+कवाट: ), अररिः ( पुन), कुवाटः ।।
१०. 'खिड़की, या बड़े फाटकके बन्द रहने पर भी. भीतर जाने आनेके 'लिए बनाये गये छोटे द्वार के २ नाम हैं-पक्षद्वारम् , पक्षकः (+खटकिका)।
११. 'भीतरी द्वार'का १ नाम है--अन्तरिम् ॥
१२. 'बाहरी द्वार, तोरणद्वार के २ नाम है-बहिरिम्, तोरणम् (न पु)॥
१३. 'बन्दनवार (द्वारके ऊपर मङ्गलाथ लगायी गयी फूल या आम्रादि पल्लवकी माला)का १ नाम है-वन्दनमालिका ॥
१४. 'खम्भेके नीचेवाली लकड़ी या पत्थर'का १ नाम है-शिला ॥ '. १५. 'खम्भेके ऊपरवाली लकड़ी या पत्थर'का १ नाम है-नासा ॥
विमर्श-गौड'का मत है कि खम्भेके ऊपर दूसरी लकड़ी रखने के लिए जो एक छोटी लकड़ी रखी जाती है, उसे 'शिला' कहते हैं । 'मालाकार का