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तियककाण्डः ४ ] 'मणिप्रभा'व्याख्योपेतः
श्नापितशाला बपनी शिल्पा खरकुटी च सा। २आवेशनं शिल्पिशाला ३सत्रशाला प्रतिश्रयः ॥६६॥ ४आश्रमस्तु• मुनिस्थान५मुपध्नस्त्वन्तिकाश्रयः । ६प्रपा पानीयशाला स्याद्गजा तु मदिरागृहम् ॥ ६७ ॥
पक्कणः शबरावासो. घोपस्त्वाभीरपल्लिका । १०पण्यशाला निपद्याऽट्टो हट्टो विपणिरापणः॥ ६८ ॥ ११वेश्याश्रयः पुरं वेशो १२मण्डपस्तु जनाश्रयः । १३कुड्यं भित्ति१४स्तदेडूकमन्तनिहितकीकसम् ।। ६६ ।। १५वेदी वितदि
१. 'क्षौरगृह ( हजामत बनाये जानवाले घर ) क ४ नाम हे-नापितशाला, वपनी, शिल्पा, खरकुटी ।।।
२. 'कारीगरके घर'के २ नाम हैं -आवेशनम् , शिल्पिशाला ।।
३. 'सदावर्त गृह ( जहां पर नित्य अन्नादि दिया जाता हो, उस घर ) के २ नाम हैं-सत्रशाला, प्रतिश्रयः ॥
. ४. 'मुनियों के रहने के स्थान'का १ नाम है-आश्रमः (पुन )॥ ५. 'समीपस्थ आश्रय गृह'के २ नाम हैं-उपनः, अन्तिकाश्रयः ॥
६. 'प्याऊ, पोसरा, पानी पिलानेका स्थान या घर के २ नाम हैंप्रपा, पानीयशाला ।। ___ ७. 'भट्ठी ( मदिराके घर ) के २ नाम हैं-गजा, मदिरागृहम् ॥
८. 'शबरों ( जंगल-निवासी कोल, भील, किरात श्रादि )के वासस्थान के २ नाम हैं-पक्कंण: (पु न ), शबरावासः ( यौ०-शबरालयः, शबरगृहम् ,.....:")।
६. 'गोपोके घर के २ नाम हैं--घोषः, श्राभीरपल्लिका (+आभीरपल्लिः )॥
१०. 'दूकान'के ६ नाम हैं-पण्यशाला, निषद्या, अटः (पु न ), हट्टः, विपणिः (स्त्री), श्रापणः । ११ 'बेश्या गृह'के ३ नाम हैं-वेश्याश्रयः, पुरम् , वेशः॥ १२. 'मण्डपके २ नाम हैं-मण्डपः (पु न ), जनाभयः ।। १३. 'दिवाल, भीत'के २ नाम है-कुड्यम् (न ।+पु), भित्तिः ॥ १४. 'भीतरमें हड्डी देकर बनायी गयी दिवाल'का १ नाम है-एडूकम् ।।
विमर्श-'श्रमरकोष' की 'धरा' नामक व्याख्याकार और के. पी. जायसवाल ने एहूक का अर्थ 'बौद्ध स्तूप' किया है । (अमरकोषस्य २।२।४ 'धरा' व्याख्यायाः टिप्पणी)॥
१५. वेदीके २ नाम है-वेदी, वितर्दिः॥