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________________ मर्त्यकाण्डः ३ ] 'मणिप्रभा' व्याख्येोपेतः १ कौतूहलं तु कुतुकं कौतुकं च कुतूहलम् ॥ ५६० ॥ २व्याधो मृगवधाजीवी लुब्धको मृगयुश्च सः । ३पर्धिमृगयाssखेटो मृगव्याच्छोदने अपि ॥ ५६१ ॥ ४ जालिकस्तु वागुरिको श्वागुरा मृगजालिका । ६शुम्बं वटारको रज्जुः शुल्बं तन्त्री वटी गुणः ॥ ५६२ ॥ ७धीवरो दाशकैवत्त डिश मत्स्यवेधनम् । आनायस्तु मत्स्यजालं १० कुवेणी मत्स्यबन्धनी ॥ ५९३ ॥ ११ जीवान्तकः शाकुनिको १२वैतंसिकस्तु सौनिकः । मांसिकः कौटिकश्चा१३थ सूना स्थानं वधस्य यत् ॥ ५६४ ॥ `१४स्याद् बन्धनोपकरणं वीतंसो मृगपक्षिणाम् । २३१ १. 'कौतुक, कुतूहल' के ४ नाम हैं— कौतूहलम्, कुतुकम्, कौतुकम् कुतूहलम् ( + विनोद: ) ।। २. 'व्याघ' के ४ नाम हैं व्याधः, मृगवधाजीवी ( - विनू ), लुब्धकः ( + लुब्धः ), मृगयुः ॥ ३. ‘शिकार, श्राखेट' के ५ नाम है - पापर्धिः, मृगया, श्राखेट:, मृगब्यम्, भाच्छोदनम् ( २ पु न ) ॥ ४. 'बाल लगानेवाले' के २ नाम है - बालिकः, वागुरिकः ॥ ५. 'मृग-पक्षी श्रादि फसानेवाले जाल के २ नाम हैं- वागुरा, मृगबालिका ॥ ६.. 'रस्सी' के ७ नाम हैं—शुम्बम् ( न स्त्री ), वटारकः, रज्जुः ( स्त्री ), शुल्वम्, तन्त्री, वटी ( स्त्री ), सुणः ।। ७. 'मल्लाह' के ३ नाम हैं- धीवरः, दाश:, कैवर्तः ॥ ८. 'बंशी ( जिसमें आटा या किसी छोटे कीड़े को लपेट कर मछली फँसाते हैं, उस लोहेकी टेढी कील ) के २ नाम हैं - वडिशम्, मत्स्यवेधनम् ॥ ६. 'मछली फँसाने के बाल'का १ नाम है —आनायः ॥ १०. 'मछलीको पकड़कर रखनेवाली टोकरी' के २ नाम हैं— कुवेणी, मत्स्यबन्धनी ॥ ११. 'चिड़ियामार' के २ नाम है- जीवान्तकः, शाकुनिक्रः ॥ १२. 'वधिक ( चीक ) के ४ नाम है—वैतंसिकः, सौनिकः, मांसिकः, कौटिक (+ खट्टिकः ) । १३. 'कसाई खाना'का १ नाम है -सूना ॥ १४. 'मृग, पशु, पक्षी आदिको फँसाने के साधनों' का १ नाम है— वीतंसः ( पुन ) ।।
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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