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________________ २१८ अभिधानचिन्तामणिः -१ऽथ द्रोणी काष्ठाम्बुवाहिनी । २नौकादण्डः क्षेपणी स्याइगुणवृक्षस्तु कूपकः ॥ ५४१ ॥ ४पोलिन्दास्त्वन्तरादण्डाः ५स्याद् मङ्गो मङ्गिनीशिरः। ६अभ्रिस्तु काष्ठकुद्दालः ७सेकपात्रं तु सेचनम् ॥ ५४२ ।। केनिपातः कोटिपात्रमरित्रेऽथोडुपः प्लवः । कोलो भेलस्तरण्डश्च १०स्यात्तरपण्यमातरः ।। ५४३ ॥ . ११वृद्धयाजोवो द्वैगुणिको वाधुषिकः कुसीदिकः ।.. वाधुषिश्च १२कुसीदार्थप्रयोगौ वृद्धिजीवने ॥ ५४४ ॥ ... १३वृद्धिः कलान्तर१४मृणं तूद्धारः पयु दश्चनम् । १५याच्चयाप्तं याचितकं १६परिवृत्त्यापमित्यकम् ॥ ५४५ ॥ - - १. 'काष्ठकी छोटी नाव, या-काष्ठ अथवा पत्थरकी बनी हुई हौज टब'का १ नाम है-द्रोणी (+द्रोणिः, द्रुणिः) । २. 'डांडा ( जिससे नाव खेते हैं, उस दण्डा'के २ नाम हैं-नौकादण्डः क्षेपणी ॥ ३. 'मस्तूल के २ नाम है-गुणवृक्षः, कूपकः ।। ४. 'नावके बीचवाले डण्डों'का १ नाम है-पोलिन्दाः॥ ५. 'नावके ऊपरवाले भाग'का १ नाम है-मनः (पु I+पुन)। ६. 'काष्टकी कुदाल (नाव या जहाजमें छिद्र होनेपर जिससे खोद-खोद कर पटुश्रा ) सन या चिथड़ा भरते हैं, उस)का १ नाम है-अभिः (स्त्री)। __७. 'नावके भीतर जमा हुए पानी को बाहर फेंकनेवाले ( चमड़े के मसक या थेले ) पात्र'का १ नाम है-सेकपात्रम्, सेचनम् ।। ८. 'लगर के ३ नाम है-केनिपातः, कोटिपात्रम्, अरित्रम् ॥ ६. 'छोटी नाब, डोंगी'के ५ नाम है-उडुपः ( पुन ), प्लवः, कोलः, भेलः, तरएडः (पु न )॥ १०. 'नाव या जहाजके भाड़े के २ नाम है-तरपण्यम् , श्रातरः ।। ११. 'सूदखोर ( सूद अर्थात् व्याजपर रुपयेको कर्ज देनेवाले ) के ५ नाम हैं-वृद्धयाजीवः, द्वैगुणिकः, वाधुषिकः, कुसीदकः, वाधुषिः ॥ .. १२: 'सूद, व्याज'के २ नाम है-कुसीदम् (+कुशीदम् ), अर्थप्रयोगः ।। १३. 'मूलधनकी वृद्धि'के २ नाम है-वृद्धिः, कलान्तरम् ॥ . १४. 'ऋण, कर्ज'के ३ नाम है-श्रणम्, उद्धारः, पर्युदञ्चनम् ॥ १५. 'याचना करनेपर मिले हुए धनादिका १ नाम है-~याचितकम् ।। १६. 'किसी वस्तु आदिके बदले में मिली हुई वस्तु'का १ नाम हैभापमित्यकम् ॥
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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