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अभिधानचिन्तामणि:
- १ ब्रह्मबन्धुर्द्विजोऽधमः । रनष्टाग्निर्वीरहा ३ जातिमात्रजीव • द्विजब्रुवः ॥ ५१६ ॥ ४धर्मध्वजी लिङ्गवृत्तिपूर्वेदहीनो निराकृतिः । ६वार्त्ताशी भोजनार्थं यो गोत्रादि वदति स्वकम् ॥ ५२० ॥ उच्छिष्टभोजनो देवनैवेद्यबलिभोजनः ।
८श्रजपस्त्वसदध्येता
शाखारण्डोऽन्यशाखकः ॥ ५२१ ॥
४० शस्त्राजीवः काण्डस्पृष्टो ११गुरुहा नरकीलकः । १२मलो देवादिपूजायामश्राद्धो
१. 'नीच द्विज' का १ नाम है - ब्रह्मबन्धुः ॥
२. 'जिसके अग्निहोत्रकी अग्नि प्रमादादि से बुझ गयी हो, उस अग्नि
होत्री' के २ नाम हैं- नष्टाग्निः, वीरहा (-हन् ) ॥
न. है
३. 'अपनी जाति बतलाकर जीविका चलानेवाले द्विज' का १ नाम. द्विजब्रु वः ।।
४. 'धर्मध्वजी ( जटादि बढ़ाकर या - गेरुआ वस्त्र आदि पहनकर धर्मात्मा बननेका पाखण्ड रच कर जीविका करनेवाले )' के २ नाम हैं- धर्म - ध्वजी ( - जिन्), लिङ्गवृत्तिः ॥
५. 'वेदका अध्ययन नहीं करनेवाले' के २ नाम हैं - वेदहीनः, निराकृतिः ॥
६. 'भोजन-प्राप्तयर्थं अपनी जाति या गोत्र आदि कहनेवाले' का १ नाम है- वार्त्ताशी (-शिन् ) ॥
७. 'देवताके नैवेद्य तथा बलिको भोजन करनेवाले' का १ नाम हैउच्छिष्टभोजनः ॥
८. 'ठीक-ठीक स्वाध्याय नहीं करनेवाले' के २ नाम हैं- अजप:, असदध्येता ( - ध्येतृ ) ॥
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६. ‘अपनी शाखाका त्याग कर दूसरेकी शाखाको ग्रहण करनेवाले' के २ नाम हैं - शाखारण्डः, अन्यशाखकः ॥
१०. 'शस्त्र से जीविका चलानेवाले' के २ नाम है-शस्त्राजीव:, काण्ड
स्पृष्टः ॥
११. ‘गुरुकी हत्या करनेवाले' के २ नाम हैं - गुरुहा ( - हन् ), नरकीलकः ॥
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१.२.. 'देवता श्रादिकी पूजा में श्रद्धा नहीं रखनेवाले' का १ नाम हैमलः ॥