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________________ २१२. अभिधानचिन्तामणि: - १ ब्रह्मबन्धुर्द्विजोऽधमः । रनष्टाग्निर्वीरहा ३ जातिमात्रजीव • द्विजब्रुवः ॥ ५१६ ॥ ४धर्मध्वजी लिङ्गवृत्तिपूर्वेदहीनो निराकृतिः । ६वार्त्ताशी भोजनार्थं यो गोत्रादि वदति स्वकम् ॥ ५२० ॥ उच्छिष्टभोजनो देवनैवेद्यबलिभोजनः । ८श्रजपस्त्वसदध्येता शाखारण्डोऽन्यशाखकः ॥ ५२१ ॥ ४० शस्त्राजीवः काण्डस्पृष्टो ११गुरुहा नरकीलकः । १२मलो देवादिपूजायामश्राद्धो १. 'नीच द्विज' का १ नाम है - ब्रह्मबन्धुः ॥ २. 'जिसके अग्निहोत्रकी अग्नि प्रमादादि से बुझ गयी हो, उस अग्नि होत्री' के २ नाम हैं- नष्टाग्निः, वीरहा (-हन् ) ॥ न. है ३. 'अपनी जाति बतलाकर जीविका चलानेवाले द्विज' का १ नाम. द्विजब्रु वः ।। ४. 'धर्मध्वजी ( जटादि बढ़ाकर या - गेरुआ वस्त्र आदि पहनकर धर्मात्मा बननेका पाखण्ड रच कर जीविका करनेवाले )' के २ नाम हैं- धर्म - ध्वजी ( - जिन्), लिङ्गवृत्तिः ॥ ५. 'वेदका अध्ययन नहीं करनेवाले' के २ नाम हैं - वेदहीनः, निराकृतिः ॥ ६. 'भोजन-प्राप्तयर्थं अपनी जाति या गोत्र आदि कहनेवाले' का १ नाम है- वार्त्ताशी (-शिन् ) ॥ ७. 'देवताके नैवेद्य तथा बलिको भोजन करनेवाले' का १ नाम हैउच्छिष्टभोजनः ॥ ८. 'ठीक-ठीक स्वाध्याय नहीं करनेवाले' के २ नाम हैं- अजप:, असदध्येता ( - ध्येतृ ) ॥ : ६. ‘अपनी शाखाका त्याग कर दूसरेकी शाखाको ग्रहण करनेवाले' के २ नाम हैं - शाखारण्डः, अन्यशाखकः ॥ १०. 'शस्त्र से जीविका चलानेवाले' के २ नाम है-शस्त्राजीव:, काण्ड स्पृष्टः ॥ ११. ‘गुरुकी हत्या करनेवाले' के २ नाम हैं - गुरुहा ( - हन् ), नरकीलकः ॥ " १.२.. 'देवता श्रादिकी पूजा में श्रद्धा नहीं रखनेवाले' का १ नाम हैमलः ॥
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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